Agra News: भीषण गर्मी में खुले आसमान के नीचे मासूम को जंजीरों में कैद करने को क्यों मजबूर हुई मां, जानिए पूरा मामला!

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आगरा: जो उम्र बच्चों के खेलने की है मां के दुलार करने की है। उस उम्र में अपने इकलौते जिगर के टुकड़े को जंजीरों में कैद करने को एक मां मजबूर हो गई है। यह नजारा एमजी रोड पर देखने को मिला जिसने भी यह दृश्य देखा वो हैरान रह गया और फिर उसके उसके बारे में पूछने लगा कि आखिर का बच्चों को जंजीरों में कैद क्यों रख कर रखा है।

आगरा में अंगारे बरसाती गर्मी में एक माँ अपने नाबालिग एवं इकलौते बेटे को जंजीरों में जकड़ने के लिए मजबूर है। पीड़ित महिला का मायका गोरखपुर है तो ससुराल खलीलाबाद जनपद संत कबीर नगर है।

बताया जा रहा है कि वह आगरा में अपने बेटे को मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए पहुंची थी लेकिन स्वास्थ्य एवं चिकित्सा केंद्र के प्रबंधन ने मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग को भर्ती करने से अभी इनकार कर दिया। अब मजबूर परिवार आगरा की सड़कों पर भूखे पेट रहने को मजबूर है। मजबूर होकर पीड़िता ने आगरा कॉलेज के पास बने फुटपाथ को अपना बसेरा बना लिया है।

महिला ने बताया कि 12 वर्ष का इकलौता पुत्र मानसिक बीमार है। वो कभी भी किसी पर भी हमला कर देता है। कई बार खुद को नुकसान पहुंचा लेता है। मजबूरन उसे जंजीरों में जकड़ कर रखना पड़ता है। ऐसे में वो उसे लेकर शनिवार को आगरा के मानसिक चिकित्सालय इलाज के लिए लाए थे। यहां चिकित्सकों ने उसे भर्ती नहीं किया और मंगलवार को बुलाया गया है।

पीड़ित माँ ने बताया कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि किसी धर्मशाला एवं गेस्ट हॉउस में ठहर सकें। मजबूरन उन्हें आगरा की लाइफ लाइन पर आगरा कॉलेज के पास फुटपाथ पर रहकर गुजारा करना पड़ रहा है। इतनी गर्मी के बीच पानी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

पीड़िता का कहना है कि कभी कोई खाने के लिए दे जाता है तो खा लेते हैं। वरना भूखे पेट रहने को मजबूर हैं। पीड़ित मां का कहना है कि आगरा आने से पूर्व वह गोरखपुर और लखनऊ में बच्चे का उपचार करा चुकी है, लेकिन बच्चे में कोई बदलाव नहीं हुआ। बेटे के इलाज में बहुत पैसा खर्च हुआ है और अब हमारे पास कुछ नहीं बचा है। पहले हम इसको कपड़े में बांधकर रखते थे, तो वह कपड़े की जंजीर को फाड़ कर भाग जाया करता था, अब मजबूर हो कर लोहे की जंजीर में बांध कर रखा हुआ है। अगर इसको खुला छोड़ देते हैं तो यह बड़ी बड़ी ऊंचाइयों पर पहुंच जाता है, इसको बचाने के लिए हमने इसको मजबूर होकर जंजीरों में जकड़ा है।

बच्चे को कुत्ते ने काटा

फुटपाथ पर रहने को मजबूर का दुर्भाग्य ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। बच्चे को कुत्ते ने काट लिया। बच्चा मानसिक दिव्यांग होने के कारण अपने शरीर का भी ख्याल नहीं रख पाता है। वह कपड़े उतार देता है। दूसरों पर हमला कर देता है। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस मजबूर मां को देखा तो आश्रय दिलाने के लिए नगर निगम के आश्रय प्रभारी डॉ.अजय कुमार सिंह से संपर्क किया। उन्होंने आश्रय दिलाने के लिए नगर निगम की टीम भेज दी लेकिन आश्रय गृह में बच्चे का ईलाज नहीं हो सकता था। ईलाज के लिए नरेश पारस ने मानसिक चिकित्सा स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉ. दिनेश राठौर से अनुरोध किया। उन्होंने मानसिक आरोग्यशाला बुलाया।

भीषण गर्मी में भी दिखा मदद का जज्बा

रविवार की दोपहर भीषण गर्मी के चलते सभी घरों में दुबके हुए थे। ऐसे में नरेश पारस बेवश महिला की मदद के लिए आगे आए। वह नगर निगम की टीम और डॉ. अजय कुमार सिंह के सहयोग से महिला और बच्चे को लेकर मानसिक आरोग्यशाला पहुंचे। संस्थान के निदेशक के आदेश पर बच्चे को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। जंजीरों से मुक्त करके उसका ईलाज शुरू हो गया। नरेश पारस ने बच्चे के भर्ती होने की सूचना उसके पिता अमित पांडे को दे दी है। सोमवार को जिला अस्पताल में बच्चे के एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाया जाएगा। अन्य जांच जिला अस्पताल और एन एन मेडीकल कॉलेज से कराई जाएंगी। बच्चा भर्ती होने पर दीपशिखा नरेश पारस का बार बार आभार जता रही थी। उसे उम्मीद नहीं थी कि अंजान शहर में कोई उसकी मदद के लिए आगे आएगा।