Agra News: दीक्षा हाउसिंग के संचालकों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज

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आगरा: शहर में फ्लैट बनाकर बेचने वाली दीक्षा हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड के संचालक उसके भाई और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दयालबाग के रहने वाले सौरभ अग्रवाल ने फ्लैट के नाम पर लाखों रुपए की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।

आरोप है कि मौके पर उन्हें निर्माणाधीन फ्लैट दिखाकर रजिस्ट्री करा दी गई। जब उन्होंने फ्लैट की स्थिति जानने के लिए मौका मुआयना किया, तो वहां कोई भी फ्लैट मौजूद नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने आरोपी बिल्डर से पैसे वापस मांगे। कुछ पैसे देने के बाद बाकी के पैसे के लिए आरोपी लगातार पीड़ित को टहला रहा था। पुलिस इस मामले में जांच पड़ताल में जुट गई है।

थाना हरीपर्वत में दर्ज हुए मुकदमे के अनुसार सौरभ अग्रवाल निवासी जयराम बाग दयालबाग ने बताया कि वर्ष 2014 में उन्होंने अपनी पत्नी सारिका अग्रवाल के नाम पर दीक्षा हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह पुत्र नानक चंद्र निवासी सुरक्षा विहार ग्वालियर रोड आगरा उसके भाई चंद्रशेखर के साथ दीक्षा द्वारिका में निर्मित कुछ फ्लैट् देखे थे। जिनमें एक 3बीएचके फ्लैट उन्हें पसंद आ गया था और तय हुआ था कि 23 लाख रुपये का भुगतान कर इस फ्लैट का बैनामा करा लिया जाएगा।

इसके बाद सौरभ अग्रवाल और उनकी पत्नी 20 मार्च, 2014 को कावेरी सेंटर संजय प्लेस के द्वितीय स्थल पर स्थित दीक्षा हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड कार्यालय पर पहुंचे। जहां से सुरेंद्र सिंह ने अपने प्रतिनिधि संतोष कुमार को उनके साथ रजिस्ट्रार कार्यालय भेज दिया। संतोष कुमार अग्रवाल द्वारा दीक्षा हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड की ओर से सौरभ अग्रवाल की पत्नी सारिका अग्रवाल के नाम पर फ्लैट की रजिस्ट्री हो गई।

सौरभ अग्रवाल ने बताया कि कुछ समय बाद में फ्लैट की स्थिति देखने के लिए मौके पर पहुंचे। लेकिन मौके पर स्थिति देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि जिस फ्लैट का निर्माण होते हुए दिखाकर उनसे रजिस्ट्री कराई गई थी। वहां पर कोई फ्लैट मौजूद नहीं था और न ही कोई फ्लैट बन रहा है। जबकि रजिस्ट्री में तीन बेडरूम, एक ड्राइंग रूम, किचन, दो टॉयलेट, दो बालकनी, एक स्टोर, बिजली, पानी, नल की फिटिंग यह सभी चीज दिखाई गई थी। बताया गया था कि फ्लैट का एरिया 102.60 वर्ग मीटर है।

पीड़ित ने बताया कि 20 मार्च, 2014 को उन्होंने बैनामा कर दिया। लेकिन अभी तक उन्हें फ्लैट नहीं मिला है। दीक्षा हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड के संचालक डायरेक्टर और व्यक्ति ने दूसरा फ्लैट बना हुआ दिखाकर अनिर्मित जगह की रजिस्ट्री करा ली। ऐसे में हम बिल्डर के खिलाफ मुकदमा लिखाने जा रहे थे। लेकिन किसी तरह से उसने हमें रोक लिया। हमें 28 लाख रुपये चार किस्तों में वापस करने की बात कही। इसके बाद छह महीने में कुछ रुपये वापस भी कर दिए। लेकिन बाकी के पैसे मांगने पर आनाकानी करने लगे।

थाना प्रभारी हरिपर्वत अरविंद कुमार का कहना है कि पीड़ित की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साक्ष्य के आधार पर विधिक कार्रवाई की जा रही है।

Compiled: up18 news