आगरा: वास्तुकला एक पब्लिक आर्ट, हमें जरूरत और लग्जरी के अन्तर को होगा समझना- आर्किटेक्ट

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काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व अध्यक्ष बोले, ब्लॉटिंग पेपर की तरह है भारतीय वास्तु

आगरा। भारतीय वास्तु एक ब्लॉटिंग पेपर की तरह है, जिसने कई संस्कृतियों की तरह मुगलिया और ब्रिशिट वास्तु को भी खुद में समाहित किया। मोहन जोदड़ो और हडप्पा उदाहरण है कि भारत वास्तुकला में उस दौर में भी काफी विकसित था और यहां उत्कृष्ठ वास्तुकार थे, जब दुनिया वास्तु का परिभाषा भी नहीं जानती थी। मध्यकाल में अपने स्वर्णकाल में रहा भारत आज अपनी वास्तु की विरासत को खोता नजर आ रहा है। इसकी एक मुख्य वजह सरकारी विभागों का सामन्जस्य न होना है।

होटल जेपी में आगरा आर्किटेक्ट एसोसिएशन की राष्ट्रीय कार्यशाला (गोल्डन जुबली) के उदघाटन अवसर पर यह बात मुख्य अतिथि काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व अध्यक्ष उदय गडकरी ने कही। उन्होंने कहा कि वास्तुकला एक पब्लिक आर्ट है। वास्तु में हमें जरूरत और लग्जरी के अन्तर को समझना होगा। वास्तु उत्पादों की प्रदर्शनी का शुभारम्भ मेयर नवीन जैन ने किया।

एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष शशि शिरोमणी ने आगरा के वास्तु पर चर्चा करते हुए कहा कि कभी नहरों का शहर रहा आगरा आज नालों का शहर बन गया। संस्थापक सचिव सीएस गुप्ता ने वर्ष 1972 से अब तक के एसोसिएशन के सफर को विस्तार से बताया। अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष अश्वनी शिरोमणी व संचालन देविना व किरन गुप्ता ने किया।

अब खिड़कियां भी पैदा कर रहीं बिजली

आगरा। अब खिड़कियां भी बिजली पैदा कर रहीं हैं। सीवेज के पानी और कचरा भी उपयोगी है। स्मार्ट सिटी का मतलब मल्टी टास्किंग बताने वाले स्टाइल आर्केटेक्ट और लग्जरी आर्केटेक्ट के नाम से मशहूर मुम्बई के प्रेमनाथ ने आगरा आर्केटेक्ट एसोसिएशन के वार्षिक कार्यशाला में यह बात कही।