प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘नया भारत’ दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है और आज़ादी के अमृतकाल में ‘देश ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ का प्राण फूंका है.
‘वीर बाल दिवस’ के मौके पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक लेकर जाना है, तो हमें अतीत के संकुचित नज़रियों से भी आज़ाद होना होगा.”
वीर बाल दिवस पर गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबज़ादों, बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फ़तेह सिंह और माता गुजरी के असाधारण साहस और बलिदान को याद किया गया.
उन्होंने कहा कि साहिबज़ादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्यौछावर कर दिया लेकिन इतनी बड़ी ‘शौर्यगाथा’ को भुला दिया गया.
‘भुला दी गई शौर्यगाथा’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वीर बाल दिवस हमें याद दिलाएगा कि दस गुरुओं का योगदान क्या है. देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है. वीर बाल दिवस हमें बताएगा कि भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है.”
उन्होंने कहा, “उस दौर की कल्पना करिए, औरंगजेब के आतंक के खिलाफ़ भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोविंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे लेकिन, जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगज़ेब और उसकी सल्तनत की क्या दुश्मनी हो सकती थी?”
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “औरंगज़ेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे लेकिन, भारत के वो बेटे, वो वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए. साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्यौछावर कर दिया, लेकिन इतनी बड़ी ‘शौर्यगाथा’ को भुला दिया गया.”
उन्होंने कहा कि अब देश के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास हो रहा है.
Compiled: up18 News
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