आगरा: रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से बने मंदिर-मजार पर चला बुलडोजर, भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात

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आगरा: रेलवे ने अपनी भूमि को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। रेलवे की भूमि पर अवैध तरीके से बने मंदिर और मजारों को ढहाने के लिए आज सोमवार को रेलवे का महाबली गरजा। अभियान के दौरान किसी तरह का विवाद न हो, इसके लिए भारी संख्या में पुलिस फोर्स और रेलवे प्रशासन की टीम मौजूद रही।

इस कार्रवाई के अंतर्गत ईदगाह पुल के पास आरपीएफ जीआरपी और सिविल पुलिस डीजल शेड में बनी मजार पर बुलडोजर लेकर पहुँचे। यहां पर आरपीएफ ने मजार में रह रहे लोगों को इस कार्रवाई से आगाह किया और फिर उसके बाद रेलवे का बुलडोजर खूब दहाड़ा। मजार को अवैध अतिक्रमण बताते हुए आरपीएफ जीआरपी और सिविल पुलिस की निगरानी में बुलडोजर से इस मजार को ढहा दिया गया।

पहले दिया चुका था नोटिस

जानकारी के मुताबिक रेलवे अपनी भूमि को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए कवायद में जुटी हुई है। रेलवे की ओर से रेलवे की भूमि पर बने धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए पहले ही नोटिस दिया जा चुका है। रेलवे अपने इस नोटिस के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दे रही है और उसी के अनुपालन में कार्रवाई करने की बात कही जा रही है। रेलवे ने अपनी भूमि को धार्मिक स्थलों से अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए सोमवार से कार्रवाई शुरू कर दी और पहली कार्रवाई डीजल शेड में बनी वर्षों पुरानी मजार पर की गई।

घर बने थे आलीशान

आरपीएफ, जीआरपी और सिविल पुलिस जब अवैध रूप से बनी मजार को हटाने के लिए पहुंची तो वहां मजार के पास घर बने हुए थे। मजार की देखरेख की आड़ में कई परिवार निवास कर रहे थे। जब इन लोगों के घरों को देखा गया तो यह घर अंदर से आलीशान कोठी से कम नजर नहीं आ रहे थे। इन घरों में एसी लगे हुए थे और सभी सुख सुविधाओं से सुसज्जित थे। पुलिस भी इस घर को और इस घर में रहने वाले लोगों को देखकर हैरान थी कि जो लोग मजार पर पूजा-अर्चना के लिए रहते हैं वह अवैध रूप से घर बनाकर इन आलीशान घर बनाकर रह रहे हैं।

रेलवे का बुलडोजर जैसे ही दहाड़ता हुआ मजार पर पहुंचा और मजार को ढहाने लगा। वहां रहने वाले लोग इधर-उधर भागने लगे। मजार ढहने के बाद जीआरपी आरपीएफ और सिविल पुलिस ने उन्हें घर खाली करने का कुछ और समय भी दिया। क्योंकि उससे पहले यह लोग मजार और घर दोनों को छोड़ना नहीं चाह रहे थे। कार्रवाई होने के बाद इन लोगों को भी समझ में आया कि अब कुछ नहीं हो सकता। घर छोड़ने में ही भलाई है क्योंकि आदेश उच्च न्यायालय और आगरा रेल मंडल से है।