जैन तीर्थ ‘कैवल्यधाम’: जहां एक ही परिसर में प्रतिष्‍ठापित हैं 24 तीर्थंकर, चार देवी-देवता और एक दादाबाड़ी

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राजस्थान के मकराना पत्थर से बना जैन तीर्थ ‘कैवल्यधाम’ संपूर्ण भारत के जैन समाज के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है। इसमें शानदार नक्काशी की गई है। यह मध्य भारत का एकमात्र ऐसा तीर्थ है जहां एक ही परिसर में चंद्राकार क्षेत्र में एक सरीखे 29 मंदिर का निर्माण किया गया है, जिनमें जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित की गई हैं। बीच में निर्मित बड़े मंदिर में भगवान आदिनाथ विराजित हैं। अगल-बगल के मंदिरों में अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमाएं हैं। इस खूबसूरत तीर्थ का दर्शन करने के लिए हर साल देश भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं।

खारुन नदी के समीप 2008 में बना मंदिर

वैसे तो छत्तीसगढ़ के हर छोटे-बड़े शहर में जैन मंदिर हैं, लेकिन श्रद्धालुओं ने 15 साल पहले ऐसे मंदिर की कल्पना की जहां सभी तीर्थंकरों को प्रतिष्ठापित किया जा सके। इसके लिए राजधानी से 10 किलोमीटर दूर खारुन नदी के समीप कुम्हारी गांव में जमीन तलाशी गई। जैन साधु-साध्वियों ने निरीक्षण करके वास्तु शिल्प को ध्यान में रखकर मंदिर बनाने की आज्ञा दी। दानदाताओं के सहयोग से कुछ ही सालों में भव्य मंदिर बनाया गया और 2008 में मंदिर में भव्य समारोह में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं

लगभग 32 एकड़ में फैले परिसर में सभी मंदिरों को संगमरमर पत्थर से तैयार किया गया है। कहीं भी लोहे की छड़ का इस्तेमाल नहीं हुआ है। गुजरात, राजस्थान के कारीगरों ने नक्काशी की है।

चंदन और सागौन के पेड़

कैवल्यधाम में भगवान आदिनाथ की पूजा चंदन से होती है। चंदन की कमी न हो इसलिए परिसर में चंदन के पेड़ लगाए गए हैं। साथ ही सागौन के पेड़ भी हैं, यहां की हरियाली मन को मोह लेती है।

साल में एक बार एक साथ बदलते हैं मंदिरों की ध्वजा

श्री कैवल्यधाम जैन श्वेतांबर ट्रस्ट के अध्यक्ष धरमचंद लूनिया एवं महामंत्री सुपारसचंद गोलछा ने बताया कि तीर्थ परिसर में स्थित 29 मंदिरों में सालभर में एक बार ध्वजा बदलने की परंपरा चली आ रही है। सभी मंदिरों में एक साथ एक ही समय पर विधिविधान से मंत्रोच्चार करके ध्वजा बदली जाती है। पिछले 12 सालों में 12 बार ध्वजा बदली जा चुकी है।

24 तीर्थंकर, चार देवी-देवता और एक दादाबाड़ी

श्रीआदिनाथ जैन श्वेतांबर तीर्थ कैवल्यधाम में 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं अलग-अलग मंदिर में प्रतिष्ठापित हैं। 24 मंदिरों के बीच मूलनायक आदिनाथ का मंदिर है, जो इन सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है। इनके अलावा भैरव, तीन देवी-देवताओं और एक दादाबाड़ी को मिलाकर कुल 29 प्रतिमाएं मंदिर में हैं। मंदिर की भव्यता और आसपास का मनोहारी दृश्य मन को लुभाता है।

मुफ्त चिकित्सा केंद्र

मंदिर में मुफ्त अस्पताल का संचालन भी किया जा रहा है। इसमें एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, होमियोपैथी डॉक्टर सेवाएं देते हैं।

साधु-साध्वियों के लिए अलग से उपाश्रय

परिसर में साधु-साध्वियों के लिए अलग से उपाश्रय बनाए गए हैं। पिछले कुछ सालों में यहां 10 से अधिक मुमुक्षु का भव्य दीक्षा समारोह हो चुका है।

-एजेंसियां