सुंदर अर्थ वाली चौपाई- बाँधा सेतु नील नल नागर, राम कृपाँ जसु भयउ उजागर

Religion/ Spirituality/ Culture

बूड़हिं आनहि बोरहिं जेई। भए उपल बोहित सम तेई॥

भावार्थ : चतुर नल और नील ने सेतु बाँधा। श्री रामजी की कृपा से उनका यह (उज्ज्वल) यश सर्वत्र फैल गया।

जो पत्थर आप डूबते हैं और दूसरों को डुबा देते हैं, वे ही जहाज के समान

(स्वयं तैरने वाले और दूसरों को पार ले जाने वाले) हो गए॥

नल और नील पौराणिक मान्तया अनुसार ऋषि विश्वामित्र के पुत्र माने गए है जिनको ये श्राप था वो किसी भी वास्तु को यदि पानी में फेंकेंगे तो वो तैरती रहेगी | जब सेतु बंधन की चर्चा हुई तब यही श्राप वरदान सिद्ध हुआ | जो स्वयं के लिए अभिशाप था वही सबके लिए कल्याण का पथ बन गया | भगवन कभी किसी के साथ अनिष्ट नहीं करते वे सबके साथ समान है और उनके अभिशाप भी वरदान होते है |हम अपनी और भी देखे तो हमारे गुरु हमारे माता पिता हमारे लिए कठोर शब्दों का प्रयोग करते है जो हमे अच्छे नहीं लगते और हमारे अहम को ठेस पहुँचती है क्यों की हमारे अंदर ऐसे भाव होते है की हम ही श्रेष्ठ है और हम ये जान ही नहीं पाते इन कठोर शब्दों में भी उस आंवले के समान है जिसके मिठास का ज्ञात बाद में पता चलता है |

नल और नील को मिला श्राप भी आंवले के समान वरदान सिद्ध हुआ और उनकी यश कीर्ति पुरे ब्रह्माण्ड में फैली इसी प्रकार यदि हम भी अहम भाव को छोड़ कर विनम्र हो कर भाव और श्रद्धा से अपने गुरु माता पिता या बड़े बज़ुर्ग को समर्पण कर देते तो निश्चित ही हमारे लिए लाभ और हितकर रहते है| जीवन में यदि आगे बढ़ना है तो बड़ो का मार्ग दर्शन परम आवश्यक है चाहे हम कितने भी विद्वान क्यों न बन जाए लेकिन एक उचित मार्गदर्शन के लिए किसी का होना परम आवश्यक है|

अर्जुन के पास ज्ञान और बल की कोई कमी नही थी परन्तु कुरुक्षेत्र के युद्ध में उसे भी भगवान कृष्ण की आवश्यकता पड़ी उनके ज्ञान के पश्चात ही उसे ये ज्ञात हुआ युद्धक्षेत्र में उसके लिए क्या श्रेयस्कर है और उसके पश्चात का परिणाम हम सब जानते है |

चाहे बात नल नील की हो या अर्जुन की दोनों में एक समानता थी और वोथा समर्पण उन्होंने अपने आराध्य और गुरु के समुख अपनी श्रेष्ट्ता का परिचय न दे कर समर्पण किया और आज भी उनकी यश कीर्ति युगो युगो के बाद भी जीवित है इसी प्रकार यदि हम भी अपने आराध्य अपने गुरु के प्रति यही भाव रखते है तो निश्चितरूप से हमारे आगे भी उन्नति प्रगति के मार्ग प्रशस्त होंगे और यश कीर्ति भी प्राप्त होगी।