आइए हम 2022 को एक सचेतन धरती के निर्माण के लिए समर्पित करें: सद्गुरु

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कोयंबटूर। मानव चेतना को ऊंचा उठाने की जरूरत को दुनिया में तुरंत की जाने वाली ‘सबसे महत्वपूर्ण चीज’ बताते हुए सद्गुरु ने आने वाले साल को ‘सचेतन धरती अभियान’ को समर्पित किया। यह वैश्विक अभियान मिट्टी और धरती के प्रति एक जागरूक रुख अपनाने, और बदले में, मानव चेतना को ऊंचा उठाने की शुरूआत करने के लिए है। यह अभियान सभी देशों की सरकारों को यह दिखाने के लिए है कि उनके नागरिक मिट्टी और पर्यावरण को पुनर्जीवित करने के लिए एक स्पष्ट नीति चाहते हैं।

‘आइए हम 2022 को एक सचेतन धरती के निर्माण के लिए समर्पित करें। सचेतन धरती का निर्माण सिर्फ मानव चेतना को ऊंचा उठाने से संभव है। अगर हम दुनिया में चेतना की लहर पैदा करते हैं, तो धरती को बचाना एक स्वाभाविक परिणाम होगा। आइए इसे कर दिखाएं,’ सद्गुरु ने 31 दिसंबर की रात को, कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र में 112-फुट की प्रसिद्ध आदियोगी की प्रतिमा के सामने, एक सत्संग में कहा।

‘2022 में, आइए हम दुनिया को, जैसी वह अभी है, उससे काफी बेहतर जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध हों,’ उन्होंने लोगों से निवेदन किया, जिनमें लाखों ईशा साधक और स्वयंसेवी शामिल हैं, जो नए साल के सत्संग में वहां पर और दुनियाभर से ऑनलाइन शामिल हुए थे।

सद्गुरु पश्चिम में, खासकर अमेरिका में, दो महीने से अधिक समय की तीव्र और अनवरत गतिविधियों के बाद वापस लौटे हैं।

दुनिया भर में मिट्टी के भारी क्षय की ओर संकेत करते हुए सद्गुरु ने कहा, ‘अपने आराम के लिए दुनिया को ठीक करने की कोशिश में, हम एक ऐसे मुकाम पर आ गए हैं जहां हम अपने अस्तित्व के स्रोत को ही नष्ट कर दे रहे हैं।’

नए साल के महत्व पर बोलते हुए सद्गुरु ने कहा, ‘समय की अनवरत चक्की बिना किसी पदचिन्ह के चल रही है। समय के गुजरते जाने का मतलब है कि जीवन गुजरता जा रहा है।’

‘मैं चाहता हूँ कि आप हर दिन को एक नए साल की शुरुआत की तरह देखें। हर दिन एक नई शुरुआत है। हर दिन इतने शानदार तरीके से शुरू होता है कि वह जश्न मनाने लायक होता है,’ उन्होंने आगे कहा।

नए साल के संकल्पों की अक्सर चर्चा होने के बारे में बोलते हुए सद्गुरु ने कहा, ‘नए साल के संकल्प के बजाए बस एक आसान चीज करें। हर दिन, इसका लेखा-जोखा रखें कि एक जीवन के रूप में आप खुद के साथ क्या कर रहे हैं। 2022 में, इस बुनियादी पहलू पर ध्यान दें: क्या आप आजाद होने के लिए, मुक्त होने के लिए जी रहे हैं, या आप बस अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा बंधन स्थापित करने के लिए जी रहे हैं?’

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