साक्षी मलिक के आरोपों पर पहलवान बबीता फोगाट ने किया तीखा पलटवार

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बबीता ने लिखा, “एक कहावत है कि ज़िंदगी भर के लिये आपके माथे पर कलंक की निशानी पड़ जाए. बात ऐसी ना कहो दोस्त की कह के फिर छिपानी पड़ जाए.”

“मुझे कल बड़ा दुख भी हुआ और हंसी भी आई जब मैं अपनी छोटी बहन और उनके पतिदेव का वीडियो देख रही थी. सबसे पहले तो मैं ये स्पष्ट कर दूं की जो अनुमति का काग़ज़ छोटी बहन दिखा रही थी उस पर कहीं भी मेरे हस्ताक्षर या मेरी सहमति का कोई प्रमाण नहीं है और ना ही दूर-दूर तक इससे मेरा कोई लेना देना है.”

“मैं पहले दिन से कहती रही हूं कि माननीय प्रधानमंत्री जी पर एवं देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखिए, सत्य अवश्य सामने आएगा. एक महिला खिलाड़ी होने के नाते मैं सदैव देश के सभी खिलाड़ियों के साथ थी, साथ हूँ और सदैव साथ रहूंगी. परंतु मैं धरने-प्रदर्शन के शुरुआत से इस चीज के पक्ष मैं नहीं थीं. मैंने बार-बार सभी पहलवानों से ये कहा कि आप माननीय प्रधानमंत्री से या गृहमंत्री से मिलो, वहीं से समाधान होगा.”

“आपको समाधान दीपेंद्र हुड्डा, कांग्रेस और प्रियंका गांधी और उनके साथ आ रहे उन लोगों के द्वारा दिख रहा था जो खुद बलात्कारी एवं अन्य मुकद्दमों के दोषी हैं लेकिन देश की जनता अब इन विपक्ष के चेहरों को पहचान चुकी है. अब देश के सामने आकर उन्हें उन सभी जवानों, किसानों और उन महिला पहलवानों की बातों का जवाब देना चाहिए जिनकी भावनाओं की आग में इन्होंने अपनी राजनीति की रोटी सेकने का काम किया.”

“जो महिला खिलाड़ी धरने पर साथ बैठे थे उनके विचारों को सभी पूर्वाग्रहों के साथ ऐसी दिशा दी, जहां बस आपके राजनीतिक फायदे दिख रहे थे. आज जब आपका ये वीडियो सबके सामने है, उससे अब देश की जनता को समझ में आ जाएगा की नए संसद भवन के उद्घाटन के पवित्र दिन आपका विरोध और राष्ट्र के लिए जीता हुआ मेडल गंगा में प्रवाहित करने की बात कितना देश को शर्मसार करने जैसा था.”

“बहन हो सकता है आप बादाम के आटे की रोटी खाती हों लेकिन गेहूं की तो मैं ओर मेरे देश की जनता भी खाती ही है. सब समझते हैं. देश की जनता समझ चुकी है कि आप कांग्रेस के हाथ की कठपुतली बन चुकी हो. अब समय आ गया है कि आपको आपकी वास्तविक मंशा बता देनी चाहिए क्योंकि अब जनता आपसे सवाल पूछ रही है.”

वीडियो में साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान ने ये बातें कही थीं-

हम पर आरोप लगे कि ये आंदोलन राजनीति से प्रेरित है और कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने हमें इसके लिए उकसाया है लेकिन जब हम जनवरी में पहली बार जंतर-मंतर पर पहुंचे थे तो प्रोटेस्ट की अनुमति जंतर-मंतर थाने से बीजेपी के ही दो नेताओं तीरथ राणा और बबीता फ़ोगाट ने ली थी. जिसका सबूत भी हमारे पास है, तो कैसे हो सकता है कि आंदोलन कांग्रेस ने करवाया.

जो 28 मई को महिला सम्मान महापंचायत का आह्वान किया गया था, वो हमने नहीं किया था. हमारे खाप चौधरियों ने वो आह्वान किया था. इस फ़ैसले के बाद हमें पता चला कि 28 मई को नई संसद का उद्घाटन भी है. फिर भी हमने बड़े-बुजुर्ग के आदेश का पालन किया. इसके परिणाम स्वरूप हमारे साथ पुलिस ने बर्बर व्यवहार किया. उस घटना ने हमें अंदर से तोड़ दिया.

हमने देश के लिए इतने पदक जीते, इतना मान-सम्मान बढ़ाया लेकिन हमारा सम्मान सड़कों पर रौंद दिया गया.
इसके बाद हम सब ने मेडल को गंगा में बहाने का निर्णय लिया. वहां भी हम इस तंत्र के साजिश का शिकार हो गए.
हम हरिद्वार पहुंचे तो वहां तंत्र का एक आदमी बजरंग को एक तरफ़ ले गया और कहा-आप रुको, आपके बारे में ही बात चल रही है. और आपको न्याय भी मिल जाएगा. सात बजे तक बजरंग को रोके रखा और उसी समय बड़ी संख्या में तंत्र से जुड़े लोग वहां पहुंच जाते हैं और वहां व्यवस्था इस तरह की बन जाती है कि अगर हम मेडल बहाते तो वहां हिंसा भी हो जाती.

हम इस स्थिति में ही नहीं थे कि यह साजिश समझ पाते. हम आंदोलनकारी नहीं हैं, हमें इसका अनुभव नहीं है. हमने पूरी ज़िंदगी कुश्ती ही की है. इस तरह के जो माहौल पैदा होते हैं, वो हम समझ नहीं पाते.

इस घटना के बाद हमें बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि कौन हमारे साथ है, कौन हमारे ख़िलाफ़ है? कौन इस तंत्र का हिस्सा है. हम दिमागी रूप से शून्य की स्थिति में पहुंच गए थे.

इस बीच कई लोग हमसे मिलते रहे, समझाते रहे. इसी बीच ये समझाया गया कि गृह मंत्री सर से आपको मिलना चाहिए क्योंकि समाधान वहीं से निकलेगा. हम वहां पर सिर्फ़ अपनी बात रखने गए थे.

इसके बाद पता चला कि कई खाप हमसे नाराज हैं. तो हम हाथ जोड़कर उनसे विनती करना चाहते हैं कि आप प्लीज अफ़वाहों पर ध्यान न दें. अगर अनजाने में हमसे गलती भी हुई हो तो माफ करें.

दोनों ही पहलवानों ने इस आंदोलन में साथ देने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का शुक्रिया अदा किया.

उन्होंने आज़ाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर रावण का भी शुक्रिया अदा किया.

पहलवानों ने कहा कि पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उनका उत्साह बढ़ाया. इसके साथ ही महिला संगठनों और छात्रों ने भी इस लड़ाई में उनका साथ दिया.

पहलवानों ने कहा, “बीजेपी लीडर बबीता जी और तीरथ राणा ने पहलवानों को एकजुट करने का काम किया. इसके बाद इन्होंने ही सरकार के साथ मध्यस्थ बनकर सरकार से आश्वासन दिलवाया. लेकिन कमेटी का आश्वासन सिर्फ़ आश्वासन ही निकला. क्योंकि उसके बाद उस कमेटी का रिजल्ट नहीं निकला. जिसके बाद हमें तीन महीने बाद फिर जंतर-मंतर पर आना पड़ा.”

Compiled: up18 News