लोगों की नाराजगी को देखते हुए बदले जाएंगे फिल्म ‘आदिपुरुष’ के डायलॉग

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सोशल मीडिया पर लोग इस फ़िल्म के डायलॉग की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि फ़िल्म के डायलॉग में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया, वो ठीक नहीं है. मनोज मुंतशिर का कहना है कि लोगों की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.

उन्होंने ट्वीट कर लिखा- “रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना. सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है. आदिपुरुष में 4 हजार से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएं आहत हुईं.”

“उन सैकड़ों पंक्तियों में जहां श्री राम का यशगान किया, मां सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं.”

“मेरे ही भाइयों ने मेरे लिए सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे. वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेक बार कविताएं पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही मां को अभद्र शब्दों से संबोधित किया.”

“मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहां से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गए जो हर मां को अपनी मां मानते थे. शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों.”

“हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया. क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना, ‘शिवोहम’ नहीं सुना, ‘राम सिया राम’ नहीं सुना?”
“आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियां भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं. ‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है. मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे. हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गए तो सनातन हार जाएगा.”

“हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनाई है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे.”

ये पोस्ट क्यों?

क्योंकि मेरे लिए आपकी भावना से बढ़कर और कुछ नहीं है. मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूं, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी. मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएंगे. श्री राम आप सब पर कृपा करें!”

शुक्रवार को रिलीज हुई आदिपुरुष ने पहले दिन ग्लोबल बॉक्स ऑफिस पर 140 करोड़ की कमाई की है. 

इस फ़िल्म में प्रभास ने राघव, कृति सेनन ने जानकी और सैफ़ अली ख़ान ने लंकेश की भूमिका निभाई है. हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषा में फिल्म को 6 हजार से ज्यादा स्क्रीन पर रिलीज किया गया है.

आदिपुरुष के वो डायलॉग जिन पर हो रहा है विवाद

पौराणिक कथा पर आधारित इस फ़िल्म में प्रभास और कृति सेनन ने राघव और जानकी का किरदार निभाया है. वहीं, सैफ़ अली खान और देवदत्त नाग रावण और बजरंगबली के क़िरदार में नज़र आए हैं.

लंका दहन से पहले इंद्रजीत (वत्सल सेठ) बजरंगबली (देवदत्त नाग) की पूंछ में आग लगाने से पहले कहते हैं -“जली ना अब और जलेगी. …. बेचारा जिसकी जलती है वही जानता है.” बजरंगबली – “कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की.”

बजरंगबली जब सीता से मिलने अशोक वाटिका जाते हैं, वहाँ उन्हें लंका का एक राक्षसी सैनिक बजरंगबली से कहता है – “तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया.”

लंका दहन के बाद जब बजरंगबली राम सेना के पास पहुँचते हैं तो लंका में हुए दहन की व्याख्या में कहते हैं- “लंका में बोलकर आया हूँ कि जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे.”

विभीषण (सिद्धार्थ कार्णिक) जब रावण को समझाने जाते हैं, तब कहते हैं – “भैया आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं…”

लक्ष्मण को मूर्छित करने के बाद इंद्रजीत कहते हैं- “मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है.”

विभीषण से रावण कहता है- “अयोध्या में तो वो रहता नहीं. रहता तो वो जंगल में है. और जंगल का राजा शेर होता है. तो वो कहां का राजा है रे…”

Compiled: up18 News