क्‍या है सेंगोल, जिसको लेकर सोशल मीडिया से टीवी स्टूडियो तक में हो रहा है घमासान

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दूसरे पॉइंट में जयराम ने साफ कहा कि ‘इस बात के कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं हैं कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू ने इस राजदंड को अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना था। इस बारे में जो भी दावे किए जा रहे हैं, वे सब फर्जी हैं। यह कुछ लोगों के दिमाग की उपज है और अब उसे फैलाया जा रहा है।’ सरकार और भाजपा के नेता यह कहकर आलोचना कर रहे हैं कि इतने महत्वपूर्ण प्रतीक को संग्रहालय में रखकर भुला दिया गया। इस पर जयराम ने लिखा कि राजदंड को इलाहाबाद संग्रहालय में सबको देखने के लिए रखा गया था। 14 दिसंबर 1947 को नेहरू ने क्या कहा था, वह पब्लिक डोमेन में है। कांग्रेस नेता ने एक पेज का स्क्रीनशॉट शेयर किया है जिसमें कहा गया है कि मैं भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता का सम्मान करता हूं।

कांग्रेस ने निकाला तमिलनाडु से सियासी कनेक्शन

चौथे पॉइंट में जयराम ने लिखा है कि राजदंड का इस्तेमाल पीएम और उनके समर्थक तमिलनाडु में अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह ऐसी ब्रिगेड है जो अपने विकृत उद्देश्यों के हिसाब से तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है।

आखिर में उन्होंने कहा कि असली सवाल यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम में क्यों बुलाया नहीं जा रहा है? नई संसद में सेंगोल की स्थापना की घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चेन्नई में कहा था कि यह तमिलनाडु के लिए गर्व की बात है। न्यूज़ रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे बड़ा तथ्य इस बारे में एक ब्लॉग पोस्ट को बताया गया है जिसे प्रसिद्ध एक तमिल लेखक ने लिखा था।

चर्चा शुरू हुई तो भारत के पहले भारतीय गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के परपोते सी. आर. केसवन सामने आए। उन्होंने चेन्नई में पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने इस पवित्र राजदंड सेंगोल को फिर से जीवंत किया है। उन्होंने कहा कि 1947 में जब आजादी नजदीक थी तब राजगोपालाचारी ने नेहरू को बताया था कि यह प्राचीन परंपरा है कि जब सत्ता का हस्तांतरण होता है तब पवित्र राजदंड सेंगोल को मुख्य पुजारी नए राजा को देते हैं और यही होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह राजदंड पहले माउंटबेटन को दिया गया। बाद में पुजारी ने इसे गंगाजल से पवित्र किया और नेहरू को दे दिया। यह एक ऐतिहासिक घटना थी। इसके बार में किसी को नहीं पता था। उन्होंने यह भी कहा कि इस राजदंड को संग्रहालय में यह कहकर रख दिया गया कि यह एक गोल्डन वॉकिंग स्टिक है जो नेहरू को दी गई थी।

सरकार द्वारा जारी वीडियो में 96 साल के वुम्मिडी इत्तिराजुलु और वुम्मिडी सुधाकर को दिखाया गया है।

इत्तिराजुलु कहते हैं, ‘अधीनम की ओर से कहा गया था कि इसे बनाना है। किसी ने कहा था। उन्होंने हमें ड्रॉइंग्स दिखाई। यह गोल चीज थी। एक लंबा दंड था। वैसा ही बनाना था। इसे महत्वपूर्ण जगह पर रखना था। ऐसे में उच्च क्वॉलिटी का बनना था। उन्होंने ऑर्डर दिया था कि इसे सिल्वर का बनाया जाए, उस पर सोने की परत चढ़ाई जाए। इसके बनाने के काम में शामिल होकर मैं काफी खुश था।’

कांग्रेस ने इसे वॉकिंग स्टिक मान लिया

जयराम के सवाल उठाने के बाद सरकार के सूत्रों ने तमिल धार्मिक साहित्य को सबूत के तौर पर सामने रखा है जिसमें कहा गया है कि सेंगोल नेहरू को अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सौंपा गया था। उस समय टाइम मैगजीन में प्रकाशित रिपोर्ट में भी सेंगोल को लेकर जानकारी सामने आई थी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी आज ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा।

उन्होंने लिखा कि कांग्रेस पार्टी भारतीय सभ्यता और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है। तमिलनाडु के पुरोहित ने पंडित नेहरू को पवित्र सेंगोल सौंपा था। यह भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक था लेकिन इसे ‘वॉकिंग स्टिक’ बताकर संग्रहालय में रख दिया गया था।

जयराम ने जिस रिपोर्ट को शेयर किया है उसमें कहा गया है कि 25 अगस्त 1945 को टाइम मैगजीन में प्रकाशित हुआ था कि मुख्य पुजारी ने सेंगोल को सत्ता का प्रतीक बताया था लेकिन यह नहीं लिखा है कि नेहरू ने ऐसा किया था।

किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में भी ऐसा ही लिखा है। डॉ. आंबेडकर की किताब ‘थॉट्स ऑन लिग्विंस्टिक स्टेट्स’, पेरी एंडरसन की किताब द इंडियन आइडियोलॉजी और यास्मीन खान की ग्रेट पार्टिशन सब में इस बात की आलोचना की गई थी जिस तरह से धार्मिक समारोह में नेहरू ने हिस्सा लिया था लेकिन किसी ने सत्ता के ट्रांसफर के प्रतीक के तौर पर सेंगल की बात नहीं की।

अखिलेश का तंज

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण (एक-हाथ से दूसरे हाथ में जाने) का प्रतीक है… लगता है भाजपा ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है। सोशल मीडिया पर भी डिबेट छिड़ी हुई है। कई लोगों ने लिखा है कि भारत का राजचिह्न, अशोक के सिंह-स्तंभ की अनुकृति है। इसमें चार सिंह हैं, जो एक दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। फिर सेंगोल का विचार कहां से और क्यों लाया जा रहा है। कितने प्रतीक चिन्ह होंगे?

Compiled: up18 News