वेब सीरीज़ ‘लंदन फाइल्स- सीजन 1’: निर्देशक के नाम पर न जाइए, पहले एक नज़र ज़रा यहां डालिए…

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निर्देशक सचिन पाठक को आज भी फ़िल्म दृश्यम के लिए याद किया जाता है पर वेब सीरीज़ ‘लंदन फाइल्स- सीजन 1’ में उन्होंने ऐसा काम नही किया, जिसके लिए लंदन फाइल्स को लंबे समय तक याद रखा जाए.

वेब सीरीज- लंदन फाइल्स- सीजन 1
ओटीटी प्लेटफार्म- वूट
निर्देशक- सचिन पाठक
अभिनय- अर्जुन रामपाल, पूरब कोहली
लेखक- प्रतीक पायोधी

वेब सीरीज का एकमात्र प्लस प्वाइंट इसका संगीत है. हर एपिसोड के इंट्रो पर बजता संगीत भी आप मिस नही करना चाहेंगे, सीरीज की कहानी और उसमें आने वाले रोमांचक मोड़ों के अनुसार इसका चयन किया गया है. यह तेज और दिल की धड़कनों को बढ़ाने वाला है.

वेब सीरीज के जरिए आप्रवासियों की समस्या को दिखाने की कोशिश करी गई है और निर्देशक ने महिला उत्पीड़न, ड्रग्स जैसे मुद्दे को भी अपनी कहानी में जगह दी है.

दृश्यम में निर्देशक सचिन पाठक ने पात्रों को बुना था. एक रोमांचक कहानी के साथ अजय देवगन, तब्बू और श्रिया सरन ने मिलकर ऐसा काम किया था, जो दर्शकों के मन में आज भी ताज़ा है. इस वेब सीरीज की कहानी शुरू से ही दर्शकों को बांधे तो रखती है पर ऐसा कोई रोमांच पैदा नही पाती जिससे दर्शकों का दिमाग हिलता रहे.

कहानी के ज़रिए एक डिटेक्टिव की जिंदगी को करीब से दिखाने की कोशिश की गई है.
कहानी यह सन्देश भी देती है कि हिंसा किसी बात का समाधान नही होती और माफी ही किसी इंसान को बड़ा बनाती है.

वेब सीरीज की स्क्रिप्ट अच्छे से लिखी गई है और ढूंढ कर भी उसमें कोई कमी नही लगती.
वेब सीरीज का छायांकन अच्छा है और इसमें लंदन की खूबसूरती को जस का तस दिखा दिया गया है.

हर वेब सीरीज के एपिसोड्स में उसका इंट्रोडक्शन आने से पहले कहानी का कुछ भाग दिखाने का ट्रेंड सा बन गया है. निर्देशक ने अपनी वेब सीरीज में भी वही राह पकड़ी है.

अभिनय की बात की जाए तो वेब सीरीज पूरी तरह से अर्जुन रामपाल की है. नशे में डूबे एक डिटेक्टिव के रोल में वह पूरी तरह से खो गए हैं, ओम सिंह का किरदार शायद उनसे बेहतर कोई और निभा भी नही सकता था.
सीरीज में ‘जल’ फेम पूरब कोहली भी हैं पर निर्देशक ने उन्हें इतना मौका नही दिया कि उन पर ज्यादा कुछ लिखा जाए.

वेब सीरीज का यह संवाद आज के दौर में मजदूरों की आवाज बन सकता है ‘हम मजदूर हैं, हम ही ने रखी है उनके महलों, उनके संसदों की नींव और उन नींव की ईंटो के नीचे हमने अपने सपने रखे हैं. उनको याद दिलाना होगा कि अगर हमारे सपने टूट गए तो, उनकी नींव की ईंट भी टूट जाएगी और धरधरा कर टूट जाएंगे उनके महल और उनकी संसदें’.

अगर आप आजकल आए कुछ बेहतरीन कंटेंट देख-देख कर ऊब चुके हैं तो एक बार ‘लंदन फाइल्स’ देखने में कोई हर्ज भी नही है.

-हिमांशु जोशी-