दुख में भी सुख खोज लेते हैं ज्ञानी पुरुष: जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज

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दान में प्रदर्शन की नहीं, सच्चे भाव की जरूरत
जैन भवन, राजामंडी में बही रही जैन भक्ति की धारा

आगरा। नेपाल केसरी व मानव परिवार संगठन के संस्थापक डॉ. मणिभद्र महाराज ने सोमवार को दान के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि दान न देने के बहाने से भी बचना चाहिए। दान देने के भाव अच्छे नहीं होंगे तो उसका पुण्य भी नहीं मिलेगा।

जैन भवन, राजामंडी, स्थानक में हो रहे वर्षा वास में डॉ.मणिभद्र महाराज ने कहा कि सुख-दुख जीवन की दो धारा हैं, लेकिन ज्ञानी पुरुष कभी भी न सुख से सुखी होते हैं, न दुखी में दुखी। वे तो दुख में भी सुख का अहसास करते हैं। बल्कि नरक में भी साधना करके पुण्य अर्जित करते हैं।

दान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आहार दान, औषधि, दान, विद्या दान, अभय दान में अभय दान सर्वश्रेष्ठ है। जो भी दान दिया जाए उसमें भावना प्रबल होनी चाहिए। दान के बाद यदि पश्चाताप, दुख या उसका प्रदर्शन होता है तो उसका लाभ नहीं मिल पाता। होना यह चाहिए कि एक हाथ से दान दिया जाए तो दूसरे को हाथ को भी पता नहीं चले। हमें यह सोचना चाहिए कि हमारा जन्म इस धरती पर कम से कम दाता के रूप में हुआ है। हमें दुनिया के सामने हाथ तो नहीं फैलाना पड़ रहा है, लेकिन यह सब तब होता है, जब हमारे संस्कार प्रबल होते हैं। संस्कार ही व्यक्ति की आत्मा को मजबूत करते हैं।

मुनिवर ने कहा कि दुनिया में तीन तरह के लोग होते हैं। स्वार्थी, परार्थी और परमार्थी। स्वार्थी लोग केवल अपने बारे में ही सोचते हैं, उन्हें किसी और से मतलब नहीं होता। परार्थी जन अपने साथियों, रिश्तेदारों का ही ध्यान रखते हैं, जबकि परमार्थी जन विश्व कल्याण की भावना से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मोक्ष का अधिकारी बनने के लिए परिवार, धन, संपदा साथ नहीं देती, उसके लिए साधना, धर्म ही होता है। इसी से व्यक्ति को शाश्वत सुख मिलता है।

इससे पूर्व जैन मुनि पुनीत ने कहा कि व्यक्ति बुढ़ापा, रोग, मृत्यु के भय से दुखी है। राग, द्वेष, कषाय की ज्वाला में जल रहा है। जिधर देखो उधर दुख ही दुख है। दुख का पारावार नहीं है। इस सबसे बचने के काम केवल साधना, परोपकार और पुण्य कार्य हैं। इन्हीं को सभी को करना चाहिए।

इस चातुर्मास पर्व में नेपाल से आये डॉक्टर मणिभद्र के सांसारिक भाई पदम सुबेदी का आठवें दिन का उपवास जारी है। मनोज जैन लोहामंडी का छठवें दिन की तपस्या चल रही है। आयंबिल की तपस्या की लड़ी रमा जैन ने आगे बढ़ाई। रविवार को नवकार मंत्री के जाप का लाभ नीतू जैन परिवार दयालबाग ने लिया।

-up18news