देश व्यंग्य में जी रहा है..और डंका पूरी दुनियां में बज रहा है

अन्तर्द्वन्द

देश व्यंग्य में जी रहा है

मोदी ने भारत का डंका दुनियां में बजाया है

अभी एक सिस्को समित हुई। जिसमे मोदी भी गए और रूस चीन के राष्ट्रपति भी आए। चीन ने नक्शा दिया जिसमें भारत का हिस्सा चीन में दिखा दिया, भारत ने कोई विरोध नहीं किया। रूस ने भी मौन सहमति दे दी। चीन ने हमारी जमीन में गांव बसा दिए। और डंका पूरी दुनियां में बज रहा है।

भारत में दुनियां के सबसे ज्यादा अखबार छपते हैं

भारत में कुल 1.44 लाख रजिस्टर्ड अखबार हैं। मतलब दुनियां में सबसे ज्यादा लेकिन प्रति हजार लोगों में कितने लोग पढ़ते हैं तो हम 48 वें नंबर पे है मतलब स्लेवेनिया मेक्सिको जैसे देशों से भी पीछे। और पत्रकार कम चाटुकार ज्यादा हैं। प्रेस की स्वतंत्रता में हम 142 वें नंबर पे हैं, मतलब पाकिस्तान से भी पीछे। टीवी न्यूज चैनल कहने को 38 अकेले हिंदी के हैं लेकिन कभी कोई सत्ता से सवाल नही करता। लेकिन.. भारत में दुनियां के सबसे ज्यादा अखबार छपते हैं..

रोज व्हाट्सएप आता है की देश तेजी से विश्वगुरु बन रहा है। भारत में सुविधाएं नही थी इस लिए कुछ बच्चे विदेश गए, युद्ध में वापस आए तो एक मंत्री लेने पहुंच गए जिनको वहीं के पड़ोसी राज्य ने ट्रॉल कर दिया। अब सरकार ने कह दिया की भैया आपको एडमिशन देने के लिए हमारे पास व्यवस्था नही है। अपने ही बच्चों को पढ़ाने के लिए हमारे पास गुरुकुल और गुरु नही हैं.. लेकिन देश विश्व गुरु बन रहा है।

जो सरकार भ्रष्टाचार का मुद्दा बना के सरकार में आई उसने लोकपाल बिल लागू नहीं किया बल्कि आरटीआई कानून में संशोधन करके कमजोर कर दिया। जो सरकार काले धन को लाने वाली थी उसने राजनैतिक पार्टियों की ब्लैक मनी फंडिंग को इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम का संवैधानिक ठप्पा देके वैध घोषित कर दिया। अब आपकी सारी जानकारी सरकार को चाहिए लेकिन सरकार बनाने के लिए चंदा किस्से लिए वो नही बताएंगे। पब्लिक की पेंशन 2004 से बंद है लेकिन नेताओं की जारी है.. खैर.

शब्द कम पढ़ जायेंगे ऐसे विरोधाभास बताते बताते .. लेकिन उसके बाद भी वोट मिल रहे हैं तो ये कोई धांधली थोड़े ही होगी.. फिर तो ये कोई मजाक होगा.. इसी लिए कह रहा हूं..

देश व्यंग्य में जी रहा है।

-कालचक्र