कई महीनों की मजबूत प्लानिंग और समन्वय का परिणाम है पीएफआई पर प्रतिबंध

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NIA ने गुरुवार को देशभर में कार्रवाई करते हुए PFI के 106 सदस्यों को गिरफ्तार किया। सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस कार्रवाई को अंजाम देने में महीनों की प्लानिंग और समन्वय लगा।

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार पिछले 3-4 महीनों से PFI के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रहा था।

पीएम के कोच्‍चि दौरे के समय ही NSA ने की थी केरल पुलिस अधिकारियों से मुलाकात

सूत्रों ने कहा कि उचित समन्वय सुनिश्चित करने के लिए NSA ने उस समय केरल पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की, जब पीएम मोदी इसी महीने की शुरुआत में विमानवाहक पोत INS विक्रांत को कमीशन करने के लिए कोच्चि गए थे। इसके बाद वह मुंबई गए जहां उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों से राजभवन में बैठक की। PFI के कैडरों को भागने से रोकने के लिए पूरे राज्यों में एकसाथ ऑपरेशन चलाया गया। सूत्रों ने संकेत दिया कि अन्य PFI कैडरों को पकड़ने के लिए और संचालन की आवश्यकता होगी।

जब PFI पर कार्रवाई हुई, तो गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में अपने आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, NIA के महानिदेशक दिनकर गुप्ता सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

इस बीच PFI और उसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने बयान जारी कर केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई की निंदा की।

केवल पांच साल के लिए ही प्रतिबंध क्यों?

वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय के अनुसार अभी एनआईए की प्रारंभिक जांच के आधार पर गृह मंत्रालय ने ये आदेश जारी किया है। अभी इसकी जांच जारी है और चार्जशीट फाइल होनी है। प्रारंभिक जांच में कई अहम सबूत मिले। कई ने गवाही दी, जिसके आधार पर एक ये बड़ा एक्शन हुआ है। आगे चार्जशीट फाइल करते समय सरकार इन संगठनों पर हमेशा के लिए पाबंदी लगा सकती है। ये भी सबूत के आधार पर होगा।’

उपाध्याय कहते हैं, ‘किसी भी संगठन को खत्म करने के लिए शुरुआती पांच साल काफी अहम होते हैं। इन पांच साल में अगर सही से कानूनी शिकंजा कसता है तो इस संगठन के सभी गलत लोगों का तार कट जाएगा। जो सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।’

झूठी कहानी कहकर खाड़ी देशों से जुटाते थे पैसा

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रचारक व सक्रिय सदस्य खाड़ी देशों से जकात का पैसा जुटाते हैं। इसके लिए वहां के अमीर कारोबारियों को भारत में मुस्लिमों पर जुल्म की झूठी कहानी बयां करते हैं। फिर उन्हीं पैसे से भारत में आतंक की पाठशाला चलाते हैं। PFI यहां गरीबों की पढ़ाई व बीमारी के नाम पर मदद कर नेटवर्क मजबूत कर रहा है।

इसका खुलासा केरल के कोझिकोड से ईडी की गिरफ्त में आए PFI के प्रचारक शफीक पाएथ की पूछताछ में हुआ है। शफीक से ED के हजरतगंज स्थित कार्यालय में पूछताछ की जा रही है। शफीक की रिमांड तीन अक्तूबर को खत्म होगी।

पीएफआई के लिए फंड जुटाने का काम रिहैब इंडिया फाउंडेशन करता है। यही फाउंडेशन ही शफीक को पैसे देता था, जिसे उसने लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों के अलावा दिल्ली और भारत-नेपाल सीमा के इलाकों में संगठन को मजबूत करने के लिए खर्च किया।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक फाउंडेशन के जरिए आए पैसे को धार्मिक संस्थानों में लगाया जा रहा है, जहां धर्म के नाम पर जिहाद का संदेश दिया जाता है। इन पैसों से जरूरतमंदों को लालच देकर धर्मांतरण व लव जिहाद कराई जा रही है। ईडी को शफीक से पीएफआई का नेटवर्क खाड़ी देशों से जुड़े होने की जानकारी मिली है। शफीक विदेशियों को भी संगठन से जोड़ने का काम कर रहा था।

पेंटर से लेकर मजदूर तक थे PFI लीडर, एजेंसी से बचने अनब्रेकेबल एप से करते थे बातचीत 

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने पेंटर, मैकेनिक, मजदूर, चूड़ी बेचने वाला, प्लंबर, कबाड़ी और कपड़े बेचने वालों को लीडर बना रखा था। NIA और MP ATS के इनपुट पर जिला पुलिस की कार्रवाई के बाद पकड़े गए सदस्यों से खुलासा हुआ है।

पीएफआई संगठन का विस्तार करने के लिए छोटे-छोटे लोगों को जोड़ रहा था। जिनकी आम लोगों के घरों तक सीधे पहुंच हो। ऐसे लोगों पर कोई शक नहीं करता था। लेकिन मालवा क्षेत्र की सांप्रदायिक घटना के बाद से एजेंसियों की ऐसे लोगों की गतिविधियों पर नजर थी।

एनआईए और एटीएस की इनपुट पर जिला पुलिस ने कार्रवाई कर मंगलवार को मध्यप्रदेश में 21 पीएफआई और एसडीपीआई के नेताओं को गिरफ्तार किया। इनके पास से दस्तावेज, मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए। पुलिस फिलहाल सभी एंगलों पर जांच कर रही है।

Compiled by – up18news