आगरा/बाह: बच्चो को खूब भा रहे टेसू झांजी के गीत, आगरे को जाएंगे चाट पकौड़ी लाएंगे…

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आगरा: टेसू की गइया कच पेदरया, असीडला भुस खाय, सात समुंदर पानी पिये, बिकन बटेश्वर जाय आदि जैसे गीत शायद आपके बचपन की यादें ताजा कर दें। ये गीत भदावर क्षेत्र के अब गली मुहल्लों में सुनाई दे रहे हैं।

इन दिनों टेसू-झंडी का महोत्सव चल रहा है, लोक परंपरा के रूप में मनाये जाने वाला यह त्यौहार दशहरे से शुरू होता है और शरद पूर्णिमा को समाप्त होता है,इस दौरान टेसू और झाड़ी के प्रतिरूपों को लेकर बच्चे घर-घर जाते हैं और उनकी शादी कराने को लेकर तुकबंदी के गाने गाते हुए पैसे अनाज और अन्य सामान मांगते हैं,

इस दौरान जिस घर से उन्हें भेंट स्वरूप उपहार मिलता है उन्हें वह आशीष भी देते हैं बरसो से छह दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार को हर वर्ष दशहरे से पूर्णिमा के बीच मनाया जाता है, है, बच्चों की टोलिया शाम होते ही अपने घरो से निकलती है और टेसू-झांझी के तुकबंदी पर बनाये लोक गीत गाते हुये घर-घर पहुंचते है,

जहाँ किसी घर से रुपया-दो रुपया तो किसी घर से खाने की टॉपी तो किसी घर से साबुत अनाज मिलता है कही से तो उनको डांट-फटकार भी सुनने को मिलती है लेकिन बड़े बुजुर्गो द्वारा शुरू की गई त्यौहार की यह परम्परा कस्बा और ग्रामीण क्षेत्र में लगातार कायम है,शहरी क्षेत्र में जरूर यह विलुप्त सी होने जा रही है,

इस बार आगामी शरद पूर्णिमा पर टेसू-झांझी का विवाह कराया जायेगा इसके वाद इनको घर से विदा के साथ विसर्जन किया जाएगा।

रिपोर्टर- अमरीष शाक्य