कभी आंखों को नम किया तो कभी होठों पर खिलखिलाहट बिखेर गई “सईयारा”

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आगरा। सईयारा अली यानि साई और अली की प्रार्थना और दुआओं से शादी के सात वर्ष बाद पैदा हुई प्यारी जूही की कली। जिसकी अम्मी उसके लिए हमेशा गाती हैं, जूही की कली मेरी लाड़ली…। जो सपने देखने के साथ उन्हें पूरा करने का हौसला रखती है और गलत फैसले लेने पर अपनी गलतियों को स्वीकारने की भी हिम्मत भी। जिसके लिए गम की शाम लम्बी तो है, मगर सिर्फ एक शाम ही तो है। जो अपने बगीचे में लगे पेड़ पौधों से बात करती है। तितलियों और चिड़ियों से भी गुफ्तगू करती है। गार्डन में गिरगिट भी आते हैं, लेकिन सईयारा को उनसे बात करना पसंद नहीं क्योंकि वह इंसानों की तरह होते हैं।

सूरसदन में जूही बब्बर द्वारा लिखित, निर्देशित सईयारा नाटक के मंचन ने कभी दर्शकों को हंसाया तो कभी रुलाया। सईयारा एक ऐसी मुस्लिम महिला की कहानी है जो अनपढ़, गरीब और बुर्खा पहनने वाली नहीं बल्कि आज की आधुनिक भारतीय महिला है। फिर भी दो बार तलाक का शिकार हो चुकी है। एक सफल व्यवसायी होने के बाद भी पति की फटकार और पिटाई को सहती है। विडम्बना देखिए, जिस रात पति से पिटती है, उसके अगले दिन विमैन इम्पावरमेंट एंड विमैन राइट की स्पीकर थीं सईयारा।

दर्शकों में बैठी हर महिला ने कहीं न कहीं किसी रूप में खुद की झलक को उसमें पाया। कभी आंखों को नम कर दिया तो कभी होठों पर खिलखिलाहट बिखेर गई सईयारा। सईयारा ने सिखाया कि जो लिखते हैं उनका कुदरत से खास रिश्ता होता है, इसलिए अपने जिस दर्द और परेशानी को जुबान पर नहीं ला पाई, उसे उसने शब्द दिए और एक किताब लिख डाली। सईयारा ने समझाया कि हर रिश्ते में प्यार, सम्मान और विश्वास जरूरी होता है। इनमें से कोई एक भी पिलर हिला तो रिश्ता भी हिल जाता है।

लगभग डेढ़ घंटे के रंचमंच के भिनय ने दर्शकों को बांधे रखा। सईयारा की आंखे भीगी तो दर्शकों की आंखे भी नम हो गईं। सईयारा खिलखिलाई तो दर्शक भी तालियों के साथ मुस्कुरा दिए। नेहा शेख ने सईयारा की हाउस मेड बीना दी, हरजीत यानि सईयारा के मैनेजर का किरदार अचिन्त माखा ने अदा किया। तकनीकि निर्देर्शन रवि मिश्रा, ऑडियो विजुअल लाइट डिजायनर आकाश चौधरी और प्रोडक्शन मैनेजर अनुश्री भगंड थीं।

ये संदेश दिया…

सईयारा का किरदार निभाने वाली सिने अभिनेत्री व रंगमंच की कलाकार जूबी बब्बर ने नाटक के अंत में संदेश दिया कि बात मर्द और औरत की नहीं। कुछ बुरे अनुभव जरूर रहे लेकिन अच्छे मर्द भी रहे सईयारा के जीवन में। बात सोच और नजरिए की। हर व्यक्ति प्रोग्रेसिव होने की करता हैं, लेकिन वास्तव में सीलियर में महिला पर अत्याचार और अबला नारी ही देखनी है उन्हें। जो सच है उसे कोई देखना भी नहीं चाहता है।

इसीलिए तो सईयारा द्वारा अपने जीवन पर लिखी गई किताब में ओटीटी प्लेयर वाले कुछ मिर्च मसाला जोड़ने की बात करते हैं। सईयारा के जीवन के दर्द और तकलीफ से किसी को कोई मतलब नहीं। हर कहानी में मनोरंजन चाहिए तो फिर महिलाओं की असल जिन्दगी को कौन बयां करेगा। अमीर और अच्छे कपड़े पहनने वाली महिलाओं की जिन्दगी सिर्फ पार्टी और, डिजानर कपड़ों तक नहीं सिमटी। पैसे और ग्लैमर के बीच भी दर्द और परेशामियां हैं। औरतों के लिए भी बहुत लम्बी लड़ाई है। आप शहरी, हो अनपड़, अमीर या गरीब, कुछ ऐसी चीजें हैं हमारे समाज में जिसके सामने हर औरत को झुकना पड़ता है।

कैबिनेट मंत्री ने दी बधाई

मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीगमेश की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। जूबी बब्बर को बधाई देते हुए कहा कि महिलाओं के विकास में सहयोग के लिए यह कदम ऐसे ही बढ़ते रहें।

इस अवसर पर मुख्य रूप से स्पाइसी शुगर संस्था की अध्यक्ष पूनम सचदेवा, अशोक ग्रुप ऑफ मोटर्स की डॉ. रंजना बंसल, पूरन डावर, वाई के गुप्ता, चंद्र सचदेवा, बबिता चौहान आदि उपस्थित थे। संचालन श्रुति सिन्हा ने किया।

अंत में नाटक की पूरी टीम के सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से नीतू चौधरी, तनूजा मांगलिक, सोनाली खंडेलवाल, चांदनी ग्रोवर, पावनी सचदेवा, रचना अग्रवाल, मीनाक्षी किशोर, सिमरन आवतानी, रुचि अग्रवाल, मिनी डेंग, रायना सिंह, मनीष राय, वेदधर, गरिमा हेमदेव, ईभा, प्रीति गुप्ता, शिखा जैन, गरिमा मंगल आदि उपस्थित थीं।

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