सोशल साइकोलॉजिस्ट के अनुसार बाईस्टैंडर थ्योरी (Bystander effect) में बताया गया कि किसी घटना के दौरान जितने ज्यादा लोग मौजूद होंगे, वहां पर भीड़ के हस्तक्षेप करने यानी पीड़ित को बचाने की संभावना उतनी ही कम होगी।
अंग्रेजी भाषा के सबसे पुराने शब्दकोश ब्रिटानिका के मुताबिक, बाईस्टैंडर थ्योरी पर सबसे पहले रिसर्च करने वाले 2 लोग थे। इनमें एक सोशल साइकोलॉजिस्ट बिब लताने और दूसरे जॉन डार्ले थे। इन्होंने रिसर्च के बाद इस थ्योरी को समझाया था।
रिसर्चर लताने और डार्ले ने बताया कि कई बार तमाशबीन लोग संकट में पड़े लोगों की परवाह करना चाहते हैं, लेकिन वे वास्तव में ऐसी घटना को अंजाम देने वाले को रोकते हैं या नहीं यह इन 5 वजहों पर निर्भर करता है।
इंसिडेंट को नोटिस करना।
यह तय करना कि यह इमरजेंसी है।
यह देखना कि इस घटना के लिए वह व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं या नहीं।
हत्या करने वाले को रोकने का तरीका चुनना।
लास्ट में बचाने का फैसला करना।
एक्सपर्ट लताने और डार्ले कहते हैं कि इनमें से किसी एक भी चीज की कमी होने पर घटनास्थल पर मौजूद शख्स मौके पर बचाव के लिए हस्तक्षेप नहीं करेगा।
साक्षी जैसे मामले में हमला होते देखने के बाद भी लोग बचाने क्यों नहीं आते हैं? जबकि CCTV में कैप्चर हुआ था मर्डर, साहिल ने चाकू मारने के बाद पत्थर पटका।
साइकोलॉजी टुडे के मुताबिक, लताने और डार्ले ऐसी घटनाओं के समय मौजूद लोगों के हस्तक्षेप नहीं करने की दो वजहें बताते हैं। पहला- डिफ्यूजन ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी, दूसरा- सोशल इन्फ्लुएंस।
डिफ्यूजन ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी: लताने और डार्ले ने बताया कि ऐसी घटना के दौरान वहां पर मौजूद लोगों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, बचाने वाले लोग उतने ही कम होंगे। दरअसल, उन्हें लगेगा कि यहां पर पहले से ही काफी लोग मौजूद हैं, ऐसे में हमें मामले में पड़ने की जरूरत नहीं है।
सोशल इन्फ्लुएंस: इस मामले में घटनास्थल पर मौजूद लोग यह सोचते हैं कि यदि कोई दूसरा मामले में हस्तक्षेप करता है तो हम भी करेंगे। साइकोलॉजी टुडे वेबसाइट के मुताबिक, कई वजहों से लोग ऐसे मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। रिसर्च से पता चलता है कि जब यौन हमले की बात आती है, तो लोगों के हस्तक्षेप करने की संभावना कम होती है.
यदि गवाह पुरुष है।
महिलाओं को कमतर आंकने वाले लोग हैं।
ड्रग्स या अल्कोहल लेने वाले लोग हैं।
मौके पर मौजूद लोग इन 2 तरीकों से साक्षी को बचा सकते थे
साइकोलॉजी टुडे वेबसाइट ने रिसर्च के हवाले से लिखा है कि बाईस्टैंडर इफेक्ट को 2 तरीकों से कम किया जा सकता है।
घटनास्थल पर मौजूद शख्स सिर्फ तेज आवाज में चेतावनी देते हुए कह सकता है कि ये क्या हो रहा है?
या फिर वहां मौजूद शख्स यह कह सकता है कि पुलिस आ रही है। वह ऐसा करके दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर सकता है।
Compiled: up18 News