सत्यजीत रे: एक ऐसे भारतीय फिल्‍मकार, जिसके पास चलकर आया था ‘ऑस्‍कर अवार्ड’

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सत्यजीत रे की शख्सियत का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें भारत सरकार द्वारा 32 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था और जिस ऑस्कर अवार्ड को पाना हर एक्टर, डायरेक्टर का सपना होता है वो सत्यजीत के पास खुल चलकर आया था क्योंकि वो काफी उस वक्‍त काफी बीमार थे.

दरअसल, 1992 में सत्यजीत रे को ऑस्कर का ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट देने की घोषणा की गई थी. लेकिन उस दौरान वे बहुत बीमार थे. ऐसे में ऑस्कर के पदाधिकारियों ने फैसला लिया था कि ये अवॉर्ड उनके पास पहुंचाया जाएगा. ऑस्कर के पदाधिकारियों की टीम कोलकाता में सत्यजीत रे के घर पहुंची थी और उन्हें अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इसके करीब एक महीने के भीतर ही 23 अप्रैल 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया था.

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कई दिग्गज हुए हैं. ये हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे यहां सत्यजीत रे जैसे डायरेक्टर भी हुए हैं. सत्यजीत रे ने न सिर्फ देश बल्कि विदेश तक के सिनेमा पर अपनी छाप छोड़ी है. सत्यजीत रे का फिल्मों को लेकर जुनून इस कदर था कि उनकी बताई चीजों को हॉलीवुड डायरेक्टर भी फॉलो करते थे. सत्यजीत रे को आज दुनिया को अलविदा कहे 28 बरस हो गए हैं लेकिन उनकी फिल्में, उनका निर्देशन आज भी याद किया जाता है.

सत्यजीत रे ने शानदार करियर में कई ऐतिहासिक फिल्में मनोरंजन जगत और दर्शकों को दीं.

एक बंगाली अहीर परिवार में 2 May 1921 को जन्‍मे सत्यजीत रे की शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की. फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज्यां रेनुआ से मिलने और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर उनका रुझान हुआ.

राय ने अपने जीवन में 37 फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं. इनमें पाथेर पांचाली, चारुलता, अपराजितो, शतरंज के खिलाड़ी आदि थीं.

उनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।

-एजेंसी