बेंगलुरु का पीने के पानी का संकट, पूरे देश के लिए एक बड़ा सबक

Cover Story

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने लोगों से पानी का दुरुपयोग रोकने की सलाह दी है. इसके अलावा सरकार शहर के सभी बोरवेल को अपने कब्जे में ले रही है और प्राइवेट पानी के टैंकरों की मदद से जल संकट को कम करने का प्रयास कर रही है.

शिवकुमार ने यह भी कहा कि राज्यभर के जल टैंकर मालिक 7 मार्च की समय सीमा तक टैंकरों का पंजीकरण नहीं कराते हैं तो उनके टैंकर जब्त कर लिए जाएंगे. बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के मुताबिक बेंगलुरु शहर में कुल 3,500 पानी के टैंकरों में से केवल 10 प्रतिशत (219 टैंकरों) ने अधिकारियों के साथ पंजीकरण कराया है. पंजीकरण न करवाने वालों के टैंकर जब्त किए जाएंगे.

प्रशासन ने कई कदम उठाए..

बेंगलुरु में बढ़ते जल संकट से निपटने के लिए प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं. डीके शिवकुमार ने बताया कि एक वॉर रूम बनाया गया है जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है. वे व्यवस्था की निगरानी करेंगे और पानी की उपलब्धता और आपूर्ति को सुनिश्चित करेंगे.

शहर के बोरवेल को कब्जे में ले लिया गया है ताकि पानी का बेहतर इस्तेमाल हो सके. निजी टैंकरों के मालिकों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे 7 मार्च से पहले अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते हैं तो उनके टैंकर को सीज कर दिया जाएगा.

संकट गहराने का सबसे बड़ा कारण..

बेंगलुरु में करीब 3500 वॉटर टैंकर हैं जिनमें से केवल 10 फीसदी ही रजिस्टर्ड हैं. प्राइवेट टैंकर पानी के लिए 500 रुपये से दो हजार रुपये तक चार्ज करते हैं. रजिस्ट्रेशन से यह सुनिश्चित होगा कि पानी उचित मूल्य पर उपलब्ध हो और जरूरतमंदों तक पहुंच सके. बेंगलुरु में जल संकट गहराने का सबसे बड़ा कारण सूखे को माना जा रहा है.

दरअसल, इस बार कर्नाटक में बारिश नहीं हुई, इससे बोरबेल सूख गए और भूजलस्तर भी गिर गया. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय विज्ञान संस्थान की एक रिसर्च के मुताबकि पिछले चार दशक में बेंगलुरु में विकास की तीव्र गति से 79 प्रतिशत जल निकाय और 88 प्रतिशत ग्रीनरी नष्ट हो चुकी है.

पूरे देश के लिए एक बड़ा सबक..

बेंगलुरु, जो कभी ‘गार्डन सिटी’ के नाम से जाना जाता था, आज बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है. गर्मी के आगमन से पहले ही शहर में जल संकट गहरा गया है. यह न केवल बेंगलुरु के लिए चिंता का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा सबक है.

जल संकट के कारण:

कम बारिश: पिछले साल बेंगलुरु में सामान्य से कम बारिश हुई, जिसके कारण जलाशयों का जलस्तर गिर गया.

बढ़ती आबादी: बेंगलुरु भारत के सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से एक है. बढ़ती आबादी के कारण पानी की मांग में भी वृद्धि हुई है.

जल संरक्षण की कमी: बेंगलुरु में जल संरक्षण की आदतों की कमी है. लोग पानी का अत्यधिक उपयोग करते हैं और बर्बाद करते हैं.

अनियंत्रित भूजल दोहन: भूजल का अत्यधिक दोहन भी जल संकट का एक प्रमुख कारण है.

पानी की किल्लत: शहर के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति में कटौती की गई है.

पानी की कीमतों में वृद्धि: पानी की कमी के कारण पानी की कीमतों में वृद्धि हुई है.

स्वास्थ्य समस्याएं: पानी की कमी से स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं.

जल संकट से निपटने के उपाय:

बारिश के पानी का संग्रहण: बेंगलुरु में बारिश के पानी का संग्रहण अनिवार्य किया जाना चाहिए.
जल संरक्षण की आदतों को अपनाना: लोगों को पानी का अत्यधिक उपयोग करने से बचना चाहिए और जल संरक्षण की आदतों को अपनाना चाहिए.

अधिक कुशल जल प्रणाली का उपयोग: बेंगलुरु में अधिक कुशल जल प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिए.
जल बर्बादी को रोकना: जल बर्बादी को रोकने के लिए सख्त नियमों का पालन किया जाना चाहिए.

बेंगलुरु का जल संकट एक गंभीर समस्या है और यह पूरे देश के लिए एक बड़ा सबक है. हमें जल संरक्षण के लिए मिलकर काम करना होगा और इस संकट से निपटने में सरकार का सहयोग करना होगा.

जल संरक्षण के लिए अभी से प्रयास करने होंगे

बेंगलुरु का जल संकट अन्य राज्यों के लिए भी एक बड़ा सबक है. हमें जल संरक्षण के लिए अभी से प्रयास करने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े. यह सभी का दायित्व है कि हम जल संरक्षण के लिए मिलकर काम करें और इस जल संकट से निपटने में सरकार का सहयोग करें.

कुछ संभावित समाधान:

पानी का दुरुपयोग रोकना: लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करना और पानी बचाने वाले उपकरणों का उपयोग करना.

वर्षा जल संचयन: बारिश के पानी को इकट्ठा करके भविष्य में उपयोग के लिए स्टोर करना.

बोरवेल का रिचार्ज: भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए बोरवेल में पानी रिचार्ज करना.

नए जल स्रोतों का विकास: नदियों और झीलों को प्रदूषण से बचाना और नए जल स्रोतों का विकास करना.

-एजेंसी