ऋषि सुनक की हिन्दू पहचान की सोशल मीडिया से लेकर पश्चिमी मीडिया में ख़ूब चर्चा

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इसी साल छह जुलाई को ऋषि सुनक ने बोरिस जॉनसन की सरकार में वित्त मंत्री से इस्तीफ़ा दे दिया था. उनके इस्तीफ़े के बाद कई और मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया था और आख़िरकार प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अपने इस्तीफ़े की घोषणा करनी पड़ी थी.

ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को इंग्लैंड के साउथंप्टन में हुआ था. सुनक के पिता यशवीर डॉक्टर थे और माँ ऊषा सुनक फार्मसिस्ट थीं. यशवीर और ऊषा पूर्वी अफ़्रीका से 1960 के दशक में ब्रिटेन पहुँचे थे लेकिन इनकी जड़ें पंजाब से हैं. अपने माँ-बाप की तीन संतानों में ऋषि सुनक सबसे बड़े हैं.

ऋषि सुनक की हिन्दू पहचान की सोशल मीडिया से लेकर पश्चिमी मीडिया में ख़ूब चर्चा हो रही है. ब्रिटिश न्यूज़ वेबसाइट द इंडिपेंडेंट ने ऋषि सुनक के पीएम चुने जाने पर हेडिंग लगाई है- ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले हिन्दू प्रधानमंत्री बनेंगे.

ब्रिटेन की कन्जर्वेटिव पार्टी की तारीफ़ हो रही है कि उसने किसी ग़ैर-गोरे और धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक को देश के शीर्ष पद के लिए मौक़ा दिया. भारत में ऋषि सुनक को लेकर सोशल मीडिया पर लोग ख़ुशी ज़ाहिर कर रहे हैं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू बहुल देश है.

ब्रिटिश अख़बार द गार्डियन से ब्रिटिश फ्यूचर थिंकटैंक के सुंदर कटवाला ने कहा, ”यह एक ऐतिहासिक पल है. ज़ाहिर है कि यह एक या दो दशक पहले संभव नहीं था. इससे पता चलता है कि ब्रिटेन का सर्वोच्च पद भी सभी धर्मों और नस्लों के लोगों के लिए खुला है. बहुसंख्यक एशियाई ब्रिटिश नागरिकों के लिए यह गौरव का क्षण होगा. यहाँ तक कि उनके लिए भी गौरव का पल होगा जो ऋषि सुनक की पार्टी की नीतियों से सहमत नहीं रहते हैं.”

गार्डियन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”ऋषि सुनक धर्मपरायण हिन्दू हैं. हालाँकि वह विरले ही सार्वजनिक रूप से अपने मज़हब को लेकर बात करते हैं. ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि के नाम की घोषणा दिवाली के दिन हुई. प्रकाश का यह त्योहार दुनिया भर के करोड़ों हिन्दू, सिख और जैन मनाते हैं.”

द गार्डियन से यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टोल में सामाजिक विज्ञान, राजनीति और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफ़ेसर तारिक़ मोदूद ने कहा, ”ऋषि सुनक की राजनीति चाहे जो भी हो लेकिन उनका प्रधानमंत्री बनना बहुसांस्कृतिक और नस्ली समानता के लिए ऐतिहासिक है. यह बहुत जल्दी हो गया. हमें इतनी जल्दी उम्मीद नहीं थी. यह तो बिल्कुल ही उम्मीद नहीं थी कि ऐसा कन्जर्वेटिव पार्टी से होगा.”

यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंगम में ब्रिटिश राजनीति की प्रोफ़ेसर नीमा बेगम ने द गार्डियन से कहा, ”डेविड कैमरन ने कन्जर्वेटिव पार्टी को आधुनिक बनाया. इसके बाद पार्टी में धार्मिक अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व तेज़ी से बढ़ा है. हालांकि ज़्यादातर धार्मिक अल्पसंख्यक लेबर पार्टी को ही वोट करते हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों में सुनक के पीएम बनने से ख़ुशी होगी.”

गार्डियन ने लिखा है, ”संभव है कि ऋषि सुनक डेविड लॉयड जॉर्ज के बाद पहले प्रधानमंत्री होंगे जो शराब नहीं पीते हों. डेविड लॉयड जॉर्ज का पसंदीदा पेय कोका-कोला था. हिन्दू धर्म में शराब निषेध है, ऐसा कुछ भी स्पष्ट नहीं है लेकिन ज़्यादातर हिन्दू शराब पीने से बचते हैं.”

अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सुनक ने 2015 में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में कहा था, ”ब्रिटिश भारतीय जनगणना में एक कैटिगरी पर निशान लगाते हैं. मैं तो पूरी तरह से ब्रिटिश हूँ. यह मेरा घर और देश है. लेकिन मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारतीय है. मेरी पत्नी भारतीय है. मैं हिन्दू हूँ और इसमें कोई छुपाने वाली बात नहीं है.”

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा हैं, “उन्होंने अपनी दोहरी पहचान में संतुलन रखने की बात की है. वह एक ऐसी पीढ़ी से आते हैं जो ब्रिटेन में पैदा हुई हैं लेकिन उसकी जड़ें कहीं बाहर हैं. बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि बचपन में उनके वीकेंड हिंदू मंदिरों और साउथैम्प्टन के स्थानीय फुटबॉल क्लब द सेंट्स में मैच के साथ गुज़रा करते थे.”

उन्होंने कहा था कि ‘आप सब कुछ करते हैं, आप दोनों पक्षों को बराबर तरजीह देते हैं.’

भारत में प्रतिक्रिया

ऋषि इंफ़ोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं. ऋषि ने अक्षता मूर्ति से 2009 में बेंगलुरु में शादी की थी. ऐसे में जब ऋषि पीएम बने तो भारतीयों के लिए ये ख़बर और ख़ास रही.

पीएम मोदी ने ऋषि सुनक को बधाई देते हुए लिखा है, ”बधाइयाँ ऋषि सुनक. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर मैं आपके साथ वैश्विक मुद्दों पर काम करने के साथ ही रोडमैप 2030 को अमल में लाना चाहूंगा. अब जब हम अपने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक साझेदारी में बदल रहे हैं तो इस मौक़े पर ब्रितानी भारतीयों को दीवाली की विशेष शुभकामनाएं.”

बधाई देने वालों के लिए ऋषि सुनक की हिंदू पहचान भी अहम रही.

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ”पहले कमला हैरिस और अब ऋषि सुनक. अमेरिका और ब्रिटेन की जनता ने अपने देश की अल्पसंख्यक जनता को देश के सर्वोच्च पदों पर चुनने का काम किया. मुझे लगता है कि भारत और बहुसंख्यकवाद की राजनीति करने वाली पार्टियों के लिए ये ये सीखने वाली बात है.”

चिदंबरम के इस ट्वीट पर पाकिस्तान में पैदा हुए कनाडाई लेखक और चर्चा में रहने वाले तारेक फ़तह ने जवाब दिया.

तारेक फ़तह ने लिखा, ”ऋषि और कमला एक दूसरे के विपरीत हैं. कमला हिंदू और अपनी भारतीय पहचान पर शर्मिंदा थीं. वहीं ऋषि सुनक ने अपनी हिंदू पहचान कभी नहीं छिपाई. दोनों की तुलना कम कीजिए.”

सेंटर फोर पॉलिसी रिसर्च में सीनियर फेलो सुशांत सिंह ने ऋषि सुनक का हवाला देते हुए भारत की राजनीति पर सवाल उठाया है. उन्होंने लिखा है, ”वर्तमान में भारत की केंद्र सरकार और सत्ताधारी पार्टी में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय से कोई न तो मंत्री है और न ही सांसद. दूसरी तरफ़ ब्रिटेन में ऋषि सुनक के उभार पर लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फूले नहीं समा रहे हैं.”

शशि थरूर ने भी ब्रिटेन के नतीजे आने से पहले कहा था कि अगर ऋषि सुनक चुने जाते हैं तो ये बड़ी बात होगी. शशि थरूर ने लिखा था, ”अगर ब्रितानी लोग ऋषि को प्रधानमंत्री बनाते हैं तो ये दुनिया के लिए दुर्लभ घटना होगी, जहाँ सबसे ताक़तवर पद पर एक अल्पसंख्यक होगा. जब हम ऋषि के भारतीय कनेक्शन पर ख़ुश हो रहे हैं, आइए ईमानदारी से पूछते हैं कि क्या ये भारत में संभव है?”

दक्षिणपंथी रुझान वाले फ़िल्मेकर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने शशि थरूर को जवाब दिया, ”10 साल तक एक सिख भारत का प्रधानमंत्री रहा, जिसकी पार्टी अध्यक्ष ईसाई समुदाय से थीं. साथ ही आपको जिसने कांग्रेस अध्यक्ष पद में हराया, वो दलित हैं.”

जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, ”ब्रिटेन में भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री ऋषि सुनक होंगे, ये गर्व से भर देने वाला पल है. भारत का इस पर जश्न मनाना वाजिब भी है. साथ ही हमें ये याद भी दिलाता है कि ऐसे वक़्त में जब ब्रिटेन एक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को अपना पीएम बना रहा है, तब हम अब भी बाँटने वाले सीएए और एनआरसी जैसे क़ानूनों में फँसे हुए हैं.”

ऋषि सुनक और हिंदू पहचान

ऋषि सुनक अपनी हिंदू पहचान का इज़हार करते रहे हैं. वो कई मौक़ों पर मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में भी शामिल होते रहे हैं.

साल 2020 में जब ऋषि ने वित्त मंत्री पद की शपथ ली थी, तब उन्होंने गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी.

ऐसे वीडियोज़ भी हैं, जिनमें ऋषि सुनक गाय की पूजा करते देखे जा सकते हैं. 2020 में दिवाली पर अपने घर के बाहर दीया जलाते हुए भी ऋषि सुनक को एक वीडियो में देखा जा सकता है. ऋषि सुनक के ख़ुद को ‘प्राउड हिंदू’ बताने की ख़बरें भी मीडिया में अब छाई हुई हैं. ऋषि सुनक का बचपन ब्रिटेन के सॉउथैंप्टन में गुज़रा था. बीबीसी संवाददाता ज़ुबैर अहमद ने कुछ महीने पहले वहां का दौरा किया था. वैदिक सोसाइटी टेम्पल साउथैंप्टन में हिन्दू समुदाय का एक विशाल मंदिर है जिसके संस्थापकों में ऋषि सुनक के परिवार के लोग भी शामिल हैं. ऋषि का बचपन इसी मंदिर के इर्द-गिर्द गुज़रा जहाँ उन्होंने हिन्दू धर्म की शिक्षा हासिल की.

75 वर्षीय नरेश सोनचाटला, ऋषि सुनक को बचपन से जानते हैं. वो कहते हैं, “ऋषि सुनक जब छोटा बच्चा था तब से मंदिर आया करता था, उनके माता-पिता और दादा-दादी के साथ”.

ऋषि के पिता यशवीर सुनक डॉक्टर हैं और माँ ऊषा सुनक हाल तक एक केमिस्ट की दुकान चलाती थीं. वो अब भी इसी शहर में रहते हैं. ऋषि इसी तरह के साधारण, धार्मिक हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोगों में से हैं.

Compiled: up18 News

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