गो फर्स्ट के पास बने रहेंगे किराये के विमान, NCLAT से म‍िली राहत

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एनसीएलएटी का फैसला गो फर्स्ट को राहत देने वाला है. कंपनी के पास कुल 54 विमान हैं जिसमें से करीब 50 प्रतिशत विमान प्रैट एंड व्हिटनी के खराब इंजन की वजह से उड़ने की हालत में नहीं हैं. ऐसे में अगर बाकी विमान भी लीज कंपनियां वापस ले लेतीं, तो कंपनी के लिए ऑपरेशनल बने रहना मुश्किल हो जाता.

गो फर्स्ट ने खुद को दिवालिया घोषित करते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का रुख किया था. कंपनी ने एनसीएलटी से आग्रह किया था कि उसके खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू किए जाने से राहत दी जाए, जिसे मान लिया गया और कंपनी को अपने आप को रिवाइव करने के लिए थोड़ा समय दे दिया गया.

हालांकि गो फर्स्ट को एयरक्राफ्ट किराये पर देने वाली कंपनियां यहां नहीं रुकीं. उन्होंने एनसीएलटी के इस ‘रोक’ के फैसले को चुनौती देते हुए एनसीएलएटी से अपील की कि गो फर्स्ट के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू की जाए. कंपनी अपने विमानों को कंपनी से वापस पाना चाहती हैं, लेकिन एनसीएलएटी ने एनसीएलटी के फैसले को बरकरार रखा है.

नहीं काम आई एयरक्राफ्ट कंपनियों की दलील

गो फर्स्ट को एयरक्राफ्ट किराये पर देने वालों एसएमबीसी एविएशन कैपिटल और सीडीबी एविएशन की जीवाई एविएशन लीजिंग कंपनी शामिल हैं. इन्होंने ही एनसीएलएटी का रुख कर गो फर्स्ट से अपने एयरक्राफ्ट वापस दिलाने की अपील की थी. लेकिन एनसीएलएटी में कंपनियों की दलील काम ही नहीं आई.

एनसीएलएटी ने इन लीज कंपनियों की याचिका निपटान करते हुए कहा कि वह अपनी बात एनसीएलटी के सामने ही रखें. ये कंपनियां अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल के सामने अपनी बात रख सकती हैं, क्योंकि उसे कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार है.

Compiled: up18 News