इतिहास के पन्ने: शराब और अफीम की लत का गुलाम था मुगल बादशाह जहांगीर, ग़ुसलख़ाने में लगता था दरबार

अन्तर्द्वन्द

जहांगीर को थी शराब और अफीम की लत

मुगल बादशाह जहांगीर को शराब और अफीम की लत थी। जहांगीर ने खुद अपनी आत्मकथा ‘तुज़ूके-जहाँगीरी’ में बताया है कि उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी था, जब वह एक दिन में 20 प्याला शराब पी जाया करते थे। 14 प्याला वह दिन में पीते थे और 6 प्याला रात में। जहांगीर शराब में जो बर्फ डालते थे, उसे कश्मीर से लाया जाता था। तब फ्रिज का आविष्कार नहीं हुआ था और बर्फ सिर्फ पहाड़ों पर पड़ती थी।

जहांगीर बाद में अपनी शराब की लत को कम करने के लिए प्रतिदिन 6 प्याला पीने लगे थे लेकिन अफीम की लत बरकरार रही। 1622 तक उन्हें अफीम के कारण अस्थमा की बीमारी हो गयी थी। 28 अक्टूबर 1627 को 58 साल की उम्र में जहांगीर की मौत भी अस्थमा से ही हुई थी। जहांगीर के अन्‍य दो भाइयों की मौत भी शराब की लत के कारण हुई।

ग़ुसलख़ाने में लगता था दरबार

बताया जाता है कि जहांगीर अपनी महत्वपूर्ण बैठकें ग़ुसलख़ाने में किया करते थे। दरअसल, यह परंपरा शेरशाह सूरी ने शुरू की थी। शेरशाह सूरी को दूसरे मुगल बादशाह हुमायूं को हराने और उत्तर भारत से खदेड़ने के लिए जाना जाता है। शेरशाह सूरी के बाल बहुत घुंघराले थे इसलिए उनके बालों को सूखने में वक्त लगता था। तब शेरशाह सूरी ने स्नानघर में ही दरबार लगाने की परंपरा की शुरुआत की थी।

बाद में जहांगीर ने भी इस परंपरा को जारी रखा। जहांगीर का दिन का दरबार तो सार्वजनिक लगता था लेकिन शाम का दरबार वो ग़ुसलख़ाने में लगाया करते थे। जहांगीर अपने खास लोगों के साथ शराब पीते और बातचीत करते थे। इसके बाद वह सोने चले जाते हैं। फिर आधी रात को उठते थे और तब खाना खाते थे।

Compiled: up18 News