अब मणिशंकर अय्यर के बयान से कांग्रेस पड़ी मुश्किल में

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कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर अक्सर चुनावों के वक्त ऐसा बयान दे देते हैं जिससे पार्टी मुश्किल में आ जाती है। लोकसभा चुनावों में तीसरे चरण का मतदान हुआ और अभी चार चरण की वोटिंग बाकी है। इस बीच मणिशंकर अय्यर का ताजा बयान वायरल हो गया है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक वीडियो क्लिप में मणिशंकर को पाकिस्तान को इज्जत बख्शने की सलाह देते सुना जा सकता है।

उन्होंने कहा कि चूंकि पाकिस्तान एक संप्रभु राष्ट्र है, उसके पास एटम बम है, इसलिए भारत को उसे इज्जत देनी चाहिए। कुछ दिनों पहले जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भारतीय वायुसेना के जवानों की टुकड़ी पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के मद्देनजर अय्यर का वायरल हुआ बयान वाकई चुभने वाला है। अय्यर वही शख्स हैं जिन्होंने पाकिस्तान जाकर भारत की सत्ता पलटने में मदद मांगी थी। यही वजह है कि ताजा बयान को अय्यर के पाकिस्तान प्रेम से जोड़कर देखा जा रहा है।

भारत के हित की बात या मुस्लिम तुष्टीकरण का दांव?

मणिशंकर अय्यर के पाकिस्तान पर दिए बयान ने विरोधियों को कांग्रेस पार्टी को भी घेरने का बैठे-बिठाए मौका दे दिया। बीजेपी का कुनबा अय्यर के बयान का हवाला देकर दावा कर रहा है कि दरअसल कांग्रेस पार्टी मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौते की हद तक भी। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने अपने एक टीवी डिबेट का वीडियो शेयर करते कहा कि 26/11 के मुंबई हमले के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने मुस्लिम वोटों के लिए पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने से भारतीय सेना को रोक दिया था।

ये पसंद पसंद का मामला है?

तो सवाल है कि क्या पाकिस्तान को इज्जत देने की सलाह के पीछे पड़ोसी से रिश्ते सुधारने की जगह पाकिस्तान परस्त भारतीय मुसलमानों को खुश करना है? अब यह तो नहीं कहा जा सकता है कि सभी भारतीय मुसलमान बिल्कुल राष्ट्रभक्त हैं और उनमें पाकिस्तान परस्ती का कोई नामों निशान नहीं है। कर्नाटक में 27 फरवरी को कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा कैंडिडेट नासिर हुसैन की जीत हुई तो विधानसभा परिसर में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगने लगे। सोशल मीडिया पर यह भी पूछा जा रहा है कि पाकिस्तानी कांग्रेस को पसंद करते हैं, इस कारण कांग्रेस को पाकिस्तान पसंद है। दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने राहुल गांधी के भाषणों का एक कटवेज वीडियो रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘राहुल ऑन फायर मतलब राहुल गांधी आग उगल रहे हैं।’

भारत का नया फॉर्मुला और पाकिस्तान का हाल

पाकिस्तानी नेता के इस ट्वीट पर भारत में खूब बवाल मचा। एक तबके ने इसे पाकिस्तान और कांग्रेस के बीच अंदरूनी साठगांठ का दावा किया। इन सबके बीच यह सवाल तो बनता है कि क्या सच में भारत को पाकिस्तान के परमाणु बम से डरना चाहिए? अगर भारत के पास परमाणु बम नहीं होता या भारत का भूभाग पाकिस्तान के मुकाबले छोटा होता तब तो एक मजबूरी हो सकती थी कि पाकिस्तान कुछ भी करे, भारत उसे सहलाते मनाते रहे। लेकिन जब स्थितियां बिल्कुल विपरीत हैं, तो फिर पाकिस्तान की गलत हरकतों पर सख्ती के बजाय नरमी बरतने से क्या उसकी हौसलाआफजाई नहीं होगी? अतीत में इसके कई सबूत भी मिले हैं। अपने पास एटम बम होने के बावजूद भारत यह मानकर डरता रहा कि कहीं पाकिस्तान का परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग गया तो विनाश की घड़ी आ जाएगी। भारत के इसी डर को भांपकर पाकिस्तान लगातार एटम बम की धमकी देता रहा और कश्मीर में आतंकियों की फौज भेजता रहा।

पाकिस्तान में ही उठने लगी आवाज

स्थितियां तब बदलीं जब मोदी सरकार ने सारी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान की कारगुजारियों पर सख्ती बरतना शुरू किया। एटम बम की धमकी पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलेआम कहा कि भारत ने अपना परमाणु बम दिवाली के लिए नहीं रखे हैं। अगर पाकिस्तान ने कुछ ऐसा-वैसा करने की सोचा भी तो उसका नक्शा दुनिया से मिट जाएगा।

दूसरी तरफ मोदी सरकार के प्रयासों से पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग पड़ा तो उसकी आर्थिक स्थिति भी लगातार कमजोर होती गई। इस कारण पाकिस्तान के अंदर संभवतः पहली बार बड़े पैमाने पर आत्ममंथन की मांग होने लगी। पाकिस्तान का सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म हो या मुख्य धारा का मीडिया, हर प्लैटफॉर्म पर लोग मुखर होकर कहने लगे हैं कि भारत के साथ रिश्ते खराब होने के पीछे बड़ा हाथ पाकिस्तान का ही है।

क्या प्यार की भाषा समझता भी है पाकिस्तान?

पाकिस्तान के साथ 60-70 वर्षों तक नरमी ही बरती गई। हम परमाणु शक्ति संपन्न होने के बाद भी उससे डरते ही रहे, तो भी क्या पाकिस्तान हमारे प्रति दोस्ताना रवैया रखने को तैयार हुआ? जवाब है नहीं। तो सवाल है कि जब मोदी सरकार की सख्ती से पाकिस्तान घुटनों पर आता दिख रहा है तो फिर उसके साथ नरमी बरतने की सलाह देकर मणिशंकर अय्यर किसका भला चाह रहे हैं? फिर सवाल तो यह भी है कि पाकिस्तान से बातचीत के लिए तो भारत हमेशा तैयार है, लेकिन एक जायज शर्त के साथ। भारत का स्पष्ट रुख है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चलेंगे। दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा भारत अब और बेगुनाहों का खून बहाने की इजाजत देने के मूड में नहीं है तो इसमें बुरा क्या है?

अय्यर को इन सवालों के जवाब तो देने ही चाहिए

मणिशंकर अय्यर को पाकिस्तान को इज्जत देने की नसीहत देते हुए अतीत में एक बार झांकना तो चाहिए था। वो कैसे भूल गए कि भारत ने जब भी पाकिस्तान की तरफ दोस्ती के हाथ बढ़ाए, पाकिस्तान ने हमेशा पीठ में छूरा घोंपा। कारगिल वॉर की सच्चाई क्या किसी से छिपी हुई है? क्या भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर बस यात्रा करके पाकिस्तान के साथ कुछ गलत किया था जिसके जवाब में कारिगल युद्ध थोप दिया गया? अगर पाकिस्तान प्यार की भाषा समझता तो निश्चित रूप से उसके साथ नरमी और प्यार से पेश आना ही सर्वोत्तम रास्ता होता, लेकिन स्थिति बिल्कुल उलट है। इतनी सख्ती के बाद पुंछ में आतंकवादी हमला होता है और तार पाकिस्तान से जुड़ते हैं तो सोचिए अगर भारत पहले की तरह पाकिस्तान को ढील दे दे तो क्या भारत में फिर जगह-जगह बम विस्फोट का दौर नहीं लौट जाएगा? मणिशंकर अय्यर को इन सवालों के जवाब देने चाहिए। अगर वो इन सवालों को टालते हैं तो उनकी मंशा पर संदेह तो होगा ही। सवाल तो गहराएंगे ही कि आखिर मणिशंकर अय्यर चाहते क्या हैं?

-एजेंसी