नया नियम: बच्चे का बर्थ रजिस्ट्रेशन कराते समय अब पिता और माता का धर्म बताना होगा जरूरी

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11 अगस्त 2023 को संसद से पारित जन्म एवं मृत्यु पंजीकर (संशोधन) अधिनियम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर जन्म और मृत्यु का डेटाबेस मेंटेन किया जा रहा है। इसका उपयोग राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR), मतदाता पंजीकरण, आधार नंबर, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन जैसे दूसरे डेटाबेस को अपडेट करने के लिए किया जाएगा।

केंद्र के सरकार के पोर्टल सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम crsorgi.gov.in के जरिए जन्म और मृत्यु का डिजिटल रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य हो गया है। इससे शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन सहित विभिन्न सेवाओं के लिए डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र जारी करना आसान हो गया है। बर्थ रजिस्टर में अब अतिरिक्त विवरण जैसे आधार नंबर, माता-पिता के मोबाइल और ईमेल आईडी और डीटेल एड्रेस के कॉलम दिए गए हैं। जानकारी देने वाले को भी अपना आधार और संपर्क विवरण देना होगा।

संशोधित कानून के मुताबिक भारत के रजिस्ट्रार जनरल रजिस्टर्ड बर्थ और डेथ का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाए रखेंगे। जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के अनुसार, मुख्य रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार को इस डेटाबेस के साथ डेटा साझा करना आवश्यक है।

सीआरएस डेटा ‘नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर आधारित भारत के महत्वपूर्ण आंकड़े’ रिपोर्ट को संकलित करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो सामाजिक-आर्थिक योजना और सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों के मूल्यांकन में सहायता करता है। इस डेटा में जन्म के समय लिंगानुपात, शिशु मृत्यु दर, मृत शिशु का जन्म और मृत्यु शामिल हैं, और यह सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नए जन्म पंजीकरण नियम माता-पिता के धर्म, डिजिटल पंजीकरण और सांख्यिकीय और कानूनी उद्देश्यों के लिए व्यापक डेटा संग्रह को रिकॉर्ड करने पर जोर देते हैं।

आधार नंबर, संपर्क विवरण और बेहतर पता जानकारी का एकीकरण, नागरिक पंजीकरण प्रणाली में रिकॉर्ड-कीपिंग और डेटा मैनेजमेंट की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। इन सुधारों का उद्देश्य पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और योजना और मूल्यांकन उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण आंकड़ों की सटीकता और पहुंच को बढ़ाना है।

-एजेंसी