मथुरा: भय और भ्रांतियों को दूर करके दो बेटियां होने के बावजूद कराई नसबंदी, समाज के लिए किया उदाहरण पेश

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मथुरा: जनपद मथुरा के नौहझील निवासी राजू (बदला हुआ नाम) ने भय और भ्रांतियों को तोड़कर एक नई मिसाल कायम की है और समाज के लिए उदाहरण बने हैं। उन्होंने दो बेटियों के जन्म के बाद अपनी नसबंदी करा ली। ना तो उन्होंने बेटा होने का मोह किया और ना ही परिवार नियोजन की जिम्मेदारी अपनी पत्नी पर डाली।

राजू ने बताया कि दो बेटियों के जन्म के बाद उन्हें लगा कि अब परिवार पूरा हो गया है तो उन्होंने परिवार नियोजन की स्थाई साधन को अपनाने के बारे में सोचा। क्षेत्रीय आशा राजकुमारी द्वारा राजू को पुरुष नसबंदी के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने अपनी पत्नी से सलाह मशविरा करने के बाद दिसंबर 2021 में अपनी नसबंदी करा ली। राजू ने बताया कि नसबंदी करवाने के बाद उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई है। यह एक आसान प्रक्रिया है। नसबंदी को अपनाने के बाद मुझे यौन सुख में बढ़ोतरी महसूस हो रही हैl मैं और मेरी पत्नी इस निर्णय से बहुत खुश हैं l

मथुरा के नौहझील निवासी लाल सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह गुड़गांव की एक फैक्ट्री में मजदूरी का कार्य करते हैं। उनकी एक लड़की और एक लड़का है। आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने दो ही बच्चे अपनाने का निश्चय किया। इसके लिए उनकी पत्नी अपनी नसबंदी कराने के लिए जा रहीं थीं, तभी क्षेत्रीय आशा और अपर शोध अधिकारी रामबाबू ने उन्हें बताया कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी ज्यादा आसान प्रक्रिया है।

लाल सिंह ने बताया कि इस पर उनकी पत्नी को डर था कि पुरुष नसबंदी के कारण कहीं संबंध बनाने के दौरान कोई कमजोरी ना आए। आशा कार्यकर्ता और अपर शोध अधिकारी के द्वारा समझाने पर उनकी पत्नी समझ गई और उन्होंने दिसंबर 2021 में अपनी नसबंदी करा ली। लाल सिंह ने बताया कि वह दिन भर खड़े होकर फैक्ट्री में कार्य करते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक कमजोरी नहीं होती है और जैसा कि आशा ने बताया था संबंध बनाने में भी कोई कमजोरी नहीं आती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार वर्मा ने बताया कि दंपत्तियों में प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए पुरुषों की सहभागिता अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रजनन स्वास्थ्य के दृष्टिगत पुरुष नसबंदी (एनएसवी) बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक मामूली शल्य प्रक्रिया है और महिला नसबंदी की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित है। पुरुष नसबंदी के लिए न्यूनतम संसाधनों एवं बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है।

उन्होंने बताया कि मथुरा जनपद में पिछले वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 77 पुरुषों ने नसबंदी को अपनाया इस वर्ष की अगर बात करें तो अप्रैल 2022 से अब तक 43 पुरुष नसबंदी की जा चुकी हैl पुरुष नसबंदी से संबंधित जन जागरूकता में यूपी-टीएसयू की प्रतिनिधि अहम भूमिका निभा रही हैं l

परिवार नियोजन के नोडल अधिकारी डॉ. चित्रेश निर्मल ने बताया कि एनएसवी विधि के द्वारा किए जाने वाली पुरुष नसबंदी में न तो चीरा लगता है, न टांका लगता है और न ही पुरुष की पौरुष क्षमता में कमी या कमजोरी होती है। यह सरल ऑपरेशन, दक्ष सर्जन के द्वारा मात्र 10 मिनट में कर दिया जाता है। ऑपरेशन के दो दिनों के बाद से लाभार्थी सामान्य कार्य एवम सात दिनों के बाद भारी काम कर सकते हैं।

नोडल अधिकारी ने बताया कि महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी आसान हैँ| पुरुष नसबंदी के लिए कुछ मानक भी तय किये गये हैं जिनके अनुसार उन पुरुषों को नसबंदी की सेवा अपनानी चाहिए जो शादी-शुदा हों और जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम हो। उनके पास कम से कम एक बच्चा होना चाहिए| बच्चे की उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पुरुष नसबंदी तभी करवानी चाहिए जब पत्नी ने नसबंदी न करवाई हो। नसबंदी अपनाने वाले लाभार्थी को 3000 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी मिलती है|

जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि पुरुष नसबंदी परिवार को नियोजित करने का एक स्थायी, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय है। यह यौन जीवन को बेहतर बनाता है और गर्भ ठहरने की चिंता को दूर करता है। नसबंदी कराने के बाद पुरुषों की यौन क्षमता और यौन क्रिया पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

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