भगवान शंकर ने दी थी श्री कृष्ण को बांसुरी, जो है उनकी अत्यंत प्रिय

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हिंदू धर्म में अनेक देवी देवताओं को पूजा जाता है और उनका अपना महत्व है. आपने गौर किया होगा कि देवी देवता के पास कोई ना कोई वाद्य यंत्र और अस्त्र शस्त्र हैं. वाद्य यंत्र की बात करें तो भगवान शिव के पास डमरु, माता सरस्वती के पास वीणा है, ऐसे ही भगवान श्री कृष्ण के पास बांसुरी है. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को उनकी बांसुरी अत्यंत प्रिय है. जिसे वो हमेशा अपने पास ही रखते हैं. जब भी उनका मन होता था वो सुरीली बांसुरी बजात कर सबका मन मोह लेते थे. आज हम जानेंगे की भगवान श्री कृष्ण को यह बांसुरी किसने दी और वह उन्हें इतनी प्रिय क्यों है.

मान्यताओं के अनुसार

मान्यता है कि समय-समय पर कई भगवान ने ज़रूरत के हिसाब से पृथ्वी पर दोबारा जन्म लिया था, जिसका वर्णन शास्त्रों में मिलता है. ऐसे ही भगवान श्री कृष्ण ने जब द्वापर युग में पृथ्वी पर जन्म लिया था, तो सभी देवी देवता रूप बदल बदल कर भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए पृथ्वी पर आया करते थे. इसी कड़ी में भगवान शिव भी अपने प्रिय भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए व्याकुल हो उठे, तभी उनके मन में ख्याल आया वह श्री कृष्ण से मिलने तो जा रहे हैं, लेकिन उनके लिए उपहार में क्या लेकर जाएं जो उन्हें पसंद भी आए और उनका प्रिय बन जाए जिसे वह हमेशा अपने पास रखें.

तभी भगवान शिव को याद आता है कि उनके पास दधीचि ऋषि की महाशक्तिशाली हड्डियां रखी हैं. कहा जाता है कि ऋषि दधीचि ने धर्म के लिए अपने शरीर का त्याग किया था और अपने महाशक्तिशाली शरीर की सारी हड्डियों को दान में दे दिया था. यह वही हड्डियां थी जिनके द्वारा भगवान विश्वकर्मा ने तीन धनुष का निर्माण किया पहला पिनाक, दूसरा गाण्डीव और तीसरा शारंग. इसके अलावा उन्होंने देवराज इंद्र के लिए वज्र भी बनाया था.

भगवान शिव ने उन हड्डियों को घिसकर एक सुंदर और मनोहर बांसुरी का निर्माण किया. जब भगवान शिव श्री कृष्ण से मिलने धरती पर आए, तो उन्होंने वह बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को उपहार में दी साथ ही आशीर्वाद भी दिया. तभी से भगवान श्री कृष्ण हमेशा उस बांसुरी को अपने पास रखते हैं. यह बांसुरी भगवान शिव ने उन्हें दी थी इसलिए उनकी प्रिय हो गई.