दो करोड़ यूजर्स को बिना बताए “लिंक्डइन” ने किए सामाजिक प्रयोग, लोगों की आजीविका हुई प्रभावित

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लिंक्डइन ने अपने यूजरों को नए कनेक्शनों की सिफारिश करने के लिए कंपनी के ऑटोमेटेड सिस्टम- पीपुल यू मे नो अल्गोरिद्म (कंप्यूटर कार्यक्रम) पर कमजोर और मजबूत संपर्कों के संबंध में सुझाव दिए हैं।

साइंस जर्नल में इस माह प्रकाशित एक स्टडी में टेस्ट का ब्योरा दिया गया है। मेसाचुसेट्स टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने यह स्टडी की है। लिंक्डइन के अल्गोरिद्म आधारित परीक्षण करोड़ों लोगों को हतप्रभ कर सकते हैं क्योंकि कंपनी ने यूजरों को नहीं बताया कि टेस्ट किए जा रहे हैं। इस कंप्यूटिंग के सामाजिक प्रभावों का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का कहना है, लोगों की जानकारी के बिना बड़े पैमाने पर हुए प्रयोगों से उनकी नौकरियों के अवसरों पर असर पड़ा होगा। परीक्षणों ने इंडस्ट्री में पारदर्शिता और रिसर्च के नतीजों की अनदेखी के बारे में सवाल उठाए हैं। लिंक्डइन ने एक बयान में कहा कि स्टडी के दौरान उसने कंपनी के यूजर एग्रीमेंट, प्राइवेसी नीति और सदस्य की सेटिंग्स के अनुरूप काम किया है। प्राइवेसी नीति में जिक्र है कि लिंक्डइन यूजर के पर्सनल डेटा का रिसर्च के लिए उपयोग कर सकती है।

कंपनी रिसर्च के महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देने के लिए समाज विज्ञान की सामान्य तकनीक का इस्तेमाल करती है। लिंक्डइन के एप्लाइड रिसर्च साइंटिस्ट और स्टडी के लेखकों में शामिल कार्तिक राजकुमार कहते हैं, रिसर्च का लक्ष्य लोगों की मदद करना है। इससे किसी को जॉब के मामले में नुकसान नहीं हुआ है।

दूर के रिश्ते अधिक मददगार साबित होते हैं

स्टडी में समाजशास्त्र की एक थ्योरी- कमजोर संबंधों की ताकत का परीक्षण किया गया है। इसके मुताबिक लोगों को नजदीकी दोस्तों की तुलना में थोड़ी दूरी रखने वाले लोगों के माध्यम से रोजगार और बेहतर अवसर मिलने की संभावना रहती है।

शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया कि कैसे लिंक्डइन के कंप्यूटर कार्यक्रम के परिवर्तनों ने जॉब की तलाश के लिए यूजर की हलचल पर असर डाला है। उन्होंने पाया कि लिंक्डइन पर अपेक्षाकृत कमजोर सामाजिक रिश्ते नौकरी हासिल करने के मामले में मजबूत सामाजिक संबंधों के समान दोगुना अधिक प्रभावकारी साबित हुए हैं।

– नताशा सिंगर