भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने सोमवार को जानकारी दी है कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर फिर सॉफ्ट लैंडिंग की है. इसरो ने बताया है कि विक्रम लैंडर ने अपने लक्ष्यों को हासिल कर लिया है.
‘हॉप प्रयोग’ यानी उछलने के प्रयोग के तहत इसरो ने विक्रम लैंडर के इंजन को शुरू किया और क़रीब 40 सेंटीमीटर तक उठाया और फिर 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर फिर लैंडिंग करवाई.
इसरो ने बताया है कि ये किक स्टार्ट भविष्य में मानव मिशन और वापसी के लिए अहम है.
इस लैंडिंग के प्रयोग के बाद विक्रम लैंडर सही से काम कर रहा है. इससे पहले 2 सितंबर को इसरो ने विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में भेज दिया था.
दरअसल चांद के जिस हिस्से में विक्रम लैंडर की लैंडिंग हुई है, वहां सूरज की रोशनी अब 22 सितंबर को आएगी. तब तक विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर समेत स्लीप मोड पर रहेगा.
22 सितंबर को देखा जाएगा कि क्या दक्षिणी ध्रुव के इस हिस्से पर -200 डिग्री तक पड़ने वाली ठंड को विक्रम लैंडर बर्दाश्त कर पाएगा या नहीं.
इसरो ने उम्मीद जताई है कि 22 सितंबर के बाद चंद्रयान-3 फिर से सक्रिय हो.
इसरो ने कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो विक्रम लैंडर हमेशा के लिए चांद पर भारत के अंबेसडर की तरह रहेगा.
चंद्रयान-3 मिशन पूरा, फिलहाल स्लीपिंग मोड में
चंद्रयान मिशन-3 के तहत काम कर रहे रोवर ने अपना असाइनमेंट पूरा कर लिया है. रोवर अब स्लीपिंग मोड में चला गया है.
भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर कहा,” चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का रोवर प्रज्ञान ‘स्लीप मोड’ में चला गया है. लेकिन इसकी बैटरी चार्ज है और रिसीवर ऑन है.”
इसरो ने लिखा,”उम्मीद है कि प्रज्ञान रोवर किसी दूसरे असाइनमेंट के लिए जाग जाएगा. ये रोवर वहां भारत के चंद्र राजदूत के तौर पर हमेशा मौजूद रहेगा.”
प्रज्ञान चांद की सतह पर 100 मीटर तक चला. उसने सल्फर, आयरन,ऑक्सीजन और दूसरे तत्वों की मौजूदगी की पुष्टि की है.
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के साथ ही भारत,अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के साथ ही चांद की सतह पर उतरने वाले देशों के क्लब में शामिल हो गया है.
हालांकि भारत पहला ऐसा देश है जो अपना अंतरिक्ष यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने में सफल रहा. इससे पहले रूस का मून मिशन क्रैश हो गया था. मीडिया में भारत की इस सफलता को काफी तारीफ मिल रही है.
Compiled: up18 News