कहते हैं..पापी व्यक्तियों के तन पर पड़ते ही इस झरने का पानी हो जाता है बंद…

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शास्त्रों में भी बताया गया है इसके बारे में

बद्रीनाथ से 8 किमी और भारत के आखिरी गांव माणा से कुछ 5 किमी दूर ये झरना स्थित है। समुद्र तल से 13,500 ऊंचे इस झरने को वसुधारा के नाम से जाना जाता है। झरने का उल्लेख शास्त्रों में भी किया गया है। बता दें कि यह पवित्र झरना अपने अंदर कई रहस्यमय चीजों को समेटे हुए है। इस झरने का पानी करीबन 400 फीट की ऊंचाई से गिरता है और इसकी खूबसूरत मोतियों जैसी धारा आपको स्वर्ग में होने का एहसास करा देगी।

पापियों पर नहीं गिरती इसकी एक भी बूंद

इस झरने की सबसे खास बात तो ये है कि धारा के नीचे खड़े होने वाले हर व्यक्ति पर इसका पानी नहीं गिरता। जी हां, जिस व्यक्ति ने पाप किए हैं, उसके ऊपर पानी की एक बूंद नहीं गिरती।

क्या कहता है ग्रंथ

ग्रंथ के अनुसार यहां पांच पांडव में से सहदेव ने प्राण त्याग किए थे। माना जाता है कि अगर इस झरने की बूंद किसी भी व्यक्ति पर गिर जाए तो समझ जाएं उस व्यक्ति ने जीवन में पुण्य का काम किया है। यही वजह है कि यहां देश के साथ-साथ विदेशों से भी लोग इस चमत्कारी झरने के नीचे एक बार जरूर खड़े होते हैं।

​झरने के पानी से शरीर के सारे दुख दूर हो जाते हैं

कहते हैं कि इस झरने के पानी में कई जड़ी बूटियों के गुण भी हैं। ये पानी कई पौधों को स्पर्श करते हुए नीचे आता है इसलिए जिस भी व्यक्ति पर ये पानी गिरता है, शरीर से आधे रोग दूर हो जाते हैं।

कैसे पड़ा ये नाम

माना जाता है कि यहां अष्ट वसु ने तप किया था, जिस वजह से इस झरने का नाम वसुधारा नाम पड़ा। ये वाटरफॉल इतना ऊंचा है कि आपको पर्वत की आखिरी चोटी एक बार में नजर नहीं आएगी। यहां पहुंचने के लिए आप माणा गांव से घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी की सुविधा लाभ उठा सकते हैं।

दो घंटे है दूर

वसुधारा के लिए ट्रैक माणा गांव से शुरू किया जाता है। सरस्वती मंदिर से गुजरने के बाद बस 5 किमी का ट्रैक रह जाता है, लेकिन यहां से ट्रेकिंग काफी कठिन हो जाती है क्योंकि जमीन बेहद कठोर और पथरीलु होती है, इसलिए माणा से वसुधारा की ट्रैकिंग के लिए 2 घंटे ही लगते हैं। रास्ते में खाने और पानी की सुविधा नहीं है।

Compiled: up18 News