गुजरात के कारोबारी ने 200 करोड़ की संपत्ति दान कर जैन धर्म की दीक्षा लेने और सन्यासी जीवन बिताने का किया फैसला

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बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के कारोबार से जुड़े हैं भावेश

भावेश भाई और उनकी पत्नी ने अपनी एशो-आराम की जिंदगी त्यागकर जैन धर्म की दीक्षा लेने और सन्यासी जीवन बिताने का फैसला किया है। भावेश बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के बिजनेस से जुड़े हुए हैं। उनका कारोबार साबरकांठा से अहमदाबाद तक फैला हुआ है।

शोभायात्रा में भावेश ने दान कर दी 200 करोड़ की संपत्ति 

साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में धूमधाम से चार किलोमीटर लंबी एक शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान सन्यास ग्रहण करने जा रहे भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने अपनी 200 करोड़ रुपये की संपत्ति दान में दे दी। उन्होंने अचानक कारोबारी से दीक्षार्थी बनने का फैसला किया है। जानकारी के अनुसार 22 अप्रैल को भावेश भाई और उनकी पत्नी समेत 35 लोग हिम्मतनगर रिवर फ्रंट पर संयमित जीवन जीने का संकल्प लेंगे।

पंखा, एसी और मोबाइल जैसी सुविधाएं त्यागनी होंगी

सन्यास ग्रहण करने के बाद भावेश भाई और उनकी पत्नी को संयमित दिनचर्या का पालन करना होगा। वे जीवन भर भिक्षा मांगकर गुजारा करेंगे। इतना ही नहीं उनको पंखा, एसी, मोबाइल फोन जैसी सुख-सुविधाएं भी त्यागनी पड़ेंगी। वे जहां कहीं भी यात्रा करेंगे उन्हें नंगे पांव चलना होगा।

बेटा-बेटी दो वर्ष पहले ही शुरू कर चुके हैं संयमित जीवन जीना

सन्यास लेने जा रहे भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी से पहले उनके बच्चे (बेटा-बेटी) भी संयमित जीवन जीना शुरू कर चुके हैं। भावेश के 16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी दो साल पहले ही जैन समाज की दीक्षा ले चुके हैं। अपने बच्चों से प्रेरित होकर ही भावेश भाई और उनकी पत्नी ने दीक्षा लेने का फैसला किया है।

-एजेंसी