हिमालय में जनवरी की भीषण ठंड व हिमपात के बाद जैसे ही मौसम थोड़ा सामान्य होता है, वैसे ही एक बड़ी खूबसूरत घटना घटती है। वो घटना है बुरांश का खिलना। पूरे हिमालय क्षेत्र में समुद्र तल से 2000 मीटर से ऊपर फरवरी से अप्रैल तक बुरांश खिलता है। इसकी लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व नगालैंड का राजकीय पुष्प है और उत्तराखंड व सिक्किम का राजकीय वृक्ष। नेपाल का तो यह राष्ट्रीय पुष्प भी है और राष्ट्रीय वृक्ष भी।
तो मार्च-अप्रैल में यदि खिला हुआ बुरांश नहीं देखा, तो कुछ नहीं देखा। यूं तो पूरे हिमालय में बहुत सारी जगहों पर बुरांश के जंगल हैं, लेकिन आज हम बात करेंगे बिनसर की।
उत्तराखंड में अल्मोड़ा से 25 किलोमीटर दूर बिनसर वाइल्डलाइफ सेंचुरी स्थित है। यह तेंदुए और काले भालू समेत कई जंगली जानवरों का निवास स्थान है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि यहां बुरांश का जंगल भी है।
अल्मोड़ा-बागेश्वर रोड पर कसार देवी से थोड़ा आगे बिनसर सेंचुरी में जाने का रास्ता है। यहां वन विभाग की चौकी है और मामूली शुल्क देकर जंगल में जाया जा सकता है। यहां से बिनसर जीरो पॉइंट की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। एक संकरी-सी सड़क बनी है और आप अपनी गाड़ी से भी जा सकते हो।
अगर आपकी नजरें चौकस हैं तो जंगल में आप काकड़, कस्तूरी मृग, जंगली सुअर, घुरल, चीतल आदि को भी देख सकते हैं। और यदि देर-सवेर जा रहे हैं, तो तेंदुआ दिखने की भी संभावना बढ़ जाती है।
केएमवीएन रेस्ट हाउस के पास पार्किंग में गाड़ी खड़ी करके निकल जाइए बिनसर जीरो पॉइंट की ओर। यह दूरी लगभग 2 किलोमीटर है और पैदल तय करनी होती है। आप चाहें तो यहां उपलब्ध गाइड भी हायर कर सकते हैं और यदि चाहें तो गाइड के बिना भी जा सकते हैं। काफी चौड़ी पगडंडी बनी है और भटकने की कोई संभावना नहीं है।
बिनसर एक सदाबहार जंगल है और पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है। दो किलोमीटर के इस पैदल रास्ते में आपको अनगिनत प्रकार के पक्षी देखने को मिल जाएंगे। पूरा जंगल पक्षियों की चहचाहट से गुंजायमान रहता है। जीरो पॉइंट पर एक वाच टाॅवर है, जहां से हिमालय की बहुत सारी हिमाच्छादित चोटियां देखी जा सकती हैं, जिनमें त्रिशूल, नंदादेवी और पंचचूली प्रमुख हैं।
कसार देवी
बिनसर जाते हुए अल्मोड़ा से 7 किलोमीटर दूर कसार देवी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह पॉजिटिव आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ स्थान है। 1890 में यहां स्वामी विवेकानंद भी आए थे। मंदिर चीड़ के जंगल में स्थित है और यहां शांति से कुछ समय व्यतीत किया जा सकता है। यहां से अल्मोड़ा शहर का विहंगम नजारा देखा जा सकता है। इसके अलावा हिमालय की बर्फीली चोटियां भी दिखती हैं।
गोलू देवता मंदिर
उत्तराखंड में गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है और कई स्थानों पर इनके मंदिर स्थित हैं। अल्मोड़ा से 7 किलोमीटर दूर चितई गोलू देवता का मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इसके अलावा अल्मोड़ा से 15 किलोमीटर दूर गैराड़ गोलू देवता का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। गैराड़ गोलू मंदिर बिनसर सेंचुरी के एकदम पास है और बिनसर जाते या लौटते समय आसानी से दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर चीड़ के जंगल में एकदम शांत वातावरण में स्थित है।
कहां ठहरें?
बिनसर में कुमाऊं मंडल विकास निगम का एक रेस्ट हाउस है, जिसकी ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है। अल्मोड़ा शहर भी ज्यादा दूर नहीं है। अल्मोड़ा में हर बजट के होटल मिल जाते हैं। इनके अलावा कसार देवी, मतेना और दीनापानी में भी कई अच्छे होटल, होमस्टे व रिसॉर्ट बने हैं, जो शहर के कोलाहल से दूर हैं और आपको प्रकृति के नजदीक ठहरने का अनुभव देते हैं।
कैसे पहुंचें?
नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो बिनसर से लगभग 110 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से बिनसर की दूरी 400 किलोमीटर, हरिद्वार से 330 किलोमीटर और लखनऊ से 470 किलोमीटर है। दिल्ली, हरिद्वार व लखनऊ से हल्द्वानी के लिए खूब बसें चलती हैं। हल्द्वानी से अल्मोड़ा के लिए बसें व शेयर्ड टैक्सियां चलती हैं। अल्मोड़ा से बिनसर के लिए कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं है, इसलिए निजी टैक्सी लेना उचित रहता है।
कब जाएं?
यदि आप प्रकृतिप्रेमी हैं, तो आप पूरे साल कभी भी बिनसर जा सकते हैं। लेकिन यदि आपको खिले हुए बुरांश का जंगल देखना है तो मार्च से अप्रैल का समय सर्वोत्तम है।
Compiled: up18 News