पवन बिजली उद्योग 2025 तक ओनशोर या तटवर्ती और ऑफशोर या अपतटीय, दोनों बाज़ारों में तेज़ी से आगे बढ़ते हुए वर्ष 2027 तक 680 गीगावाट की रिकॉर्ड स्थापना की उम्मीद कर रहा है। सप्लाई चेन की रुकावटों को दूर करने के लिया नीति निर्माताओं को 2026 से काम करने की ज़रूरत है। इसकी सप्लाई चेन में रुकावट की वजह से 2030 के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में बाधा आ सकती है और इसके चलते – 2050 तक नेट-ज़ीरो तक पहुँचने की दुनिया की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।
साथ ही 2022 एक निराश करने वाले साल के बाद, अब एक तेज़ी से विकसित हो रहे वातावरण ने आने वाले वर्षों में अब पवन बिजली उद्योग प्रति वर्ष 136 गीगावाट स्थापित करने के लिए तैयार है, जिसका मिश्रित वृद्धि दर 15 फ़ीसद तक पहुंचेगा।
इन बातों का पता चलता है ग्लोबल विंड रिपोर्ट से जिससे यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि दुनिया में आपूर्ति श्रृंखला में निवेश बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (जीडब्लूईसी/GWEC) की मैपिंग से पता चलता है कि यू.एस. और यूरोप, जल्द दोनों में 2025 से ही टर्बाइनों और घटकों के लिए आपूर्ति की बाधायें सामने आने की संभावना है। जैसे-जैसे पवन ऊर्जा बाज़ार यू.एस. इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट (अमेरिकी मुद्रास्फीति में कमी अधिनियम) के सकारात्मक प्रभाव को देखता है और इसके साथ ही यूरोपकी इस दिशा में महत्वाकांक्षा में वृद्धि हो रही है। चीन में पावन बिजली उद्योग तेज़ी से निर्माण करता दिख रहा है और बड़े विकासशील देश अपनी पावन ऊर्जा तैनाती में तेज़ी ला रहे हैं।
नीति निर्माताओं द्वारा सही क़दम उठाने और इसकी आपूर्ति के लिए उठाये गये प्रभावी कदमों का पावन ऊर्जा में बढ़ोत्तरी पर साफ़ असर होगा। क्योंकि दुनिया वक़्त रहते, अपनी जीवाश्म ईंधन पर ऊर्जा की ज़रूरतों को कम करने में सक्षम होगी और इसकी जगह एक साफ़ सुथरी ऊर्जा के रास्ते पर आगे बढ़ेगी। ऐसे में अब आपूर्ति श्रृंखलाओं में निवेश( फाइनेंस) को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय ज़रूरत के नूरूप इसे लचीला बनाये जाने का वक़्त है। क्योंकि संरक्षणवादी व्यापार उपायों को लागू करने के प्रयासों से लागत ऊँची होने के साथ साथ पवन और रिन्यूएबल बिजली के विस्तार में देरी का जोखिम है। जो ग्लोबल वार्मिंग के 1.5 डिग्री तक पहुँच जाने के ख़तरे की संजीदगी को देखते हुए सही नहीं है।
ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल के सीईओ बेन बैकवेल, ने कहा की : “इस साल की ग्लोबल विंड रिपोर्ट से नीति निर्माताओं के लिए यह साफ़ संदेश है: वह अपनी महत्वाकांक्षा को दोगुना करके इस दुनिया का भविष्य स्वच्छ ऊर्जा से सुरक्षित करें ।”
“दुनिया भर में सुरक्षित रिन्यूएबल ऊर्जा की तैनाती में तेज़ी लाने पर केंद्रित नई नीतियां पेश की जा रही हैं, और जीडब्लूईसी को आने वाले दशक और उसके बाद के विकास में निरंतर वृद्धि की उम्मीद है। लेकिन कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए नीति निर्माताओं को भविष्य की बाधाओं से बचने के लिए नए कारख़ानों में निवेश की अनुमति देने, बाज़ार और नियामक बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, हमें महत्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति को बढ़ाने और जोखिम को कम करने के लिए और अधिक ऐक्टिव ग्लोबल सहयोग की ज़रूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ग्रीन इकनोमिक रेवोल्यूशन (हरित आर्थिक क्रांति) के पास इस संकट के वक़्त में वह इनपुट हैं जिनकी उसे ज़रूरत है ।
यह बात लंबे समय से तय है की पवन ऊर्जा का समर्थन रोज़गार पैदा करता है, नए उद्योग का निर्माण करता है और स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही इसके विस्तार के साथ जलवायु लक्ष्यों के क़रीब पहुँचने और नेट-ज़ीरो हासिल करने के और नज़दीक होने से इस दुनिया का बहविष्य महफ़ूज़ होता है। नीति निर्माताओं को उनके सामने मौजूद अवसर को स्वीकार करना चाहिए और ऊर्जा में बदलाव यानी जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा की जगह साफ़ ऊर्जा को अपनाने में उद्योग के क़दम के साथ क़दम मिलकर काम करना चाहिए।”
मार्तंड शार्दुल, नीति निदेशक, ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल इंडिया – जीडब्ल्यूईसी इंडिया ने कहा: “ब्लेड निर्माण में 11% की हिस्सेदारी , पवन टरबाइन जनरेटर में 7% और गियरबॉक्स निर्माण में 12% की मौजूदा हिस्सेदारी के साथ, भारत वैश्विक पवन बिजली आपूर्ति श्रृंखला में एक अद्वितीय स्थिति में है। हालाँकि, भारत या अन्य क्षेत्रों में कोई भी प्रतिबंधात्मक व्यापार नीति जो पूर्ण स्थानीयकरण को अनिवार्य करती है, मूल्य वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पैदा कर सकती है। राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम होने के लिए, क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धात्मक लाभों पर निर्माण करना, पवन ऊर्जा क्षेत्र में एक स्वस्थ विकास को बढ़ावा देगा।
“सुविधाजनक नीतिगत उपाय भारत में पवन (बिजली) क्षेत्र के लिए अवसरों को फिर से परिभाषित करना जारी रखते हैं। पिछले कुछ वर्षों में मंदी के बाद, केंद्र ने इस दशक में सालाना 8 गीगावाट ऑनशोर पवन (बिजली) परियोजनाओं को निविदा देने और राज्यों में पवन ऊर्जा क्षमता का दोहन करने की योजना की घोषणा की है। साथ ही, भारत द्वारा अपतटीय पवन (बिजली) तैयारियों पर तेज़ी से प्रगति की गई है। तकनीकी, नीति और आपूर्ति श्रृंखला रिपोर्ट की एक श्रृंखला के विकास के लिए भारतीय एजेंसियों ने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी की है। इन सभी को मज़बूत आपूर्ति श्रृंखला निवेश और योजना का समर्थन मिलना होगा ताकि दोनों, घरेलू मांग और निर्यात के अवसरों को पूरा किया जा सके।
“परिपक्व के साथ-साथ उभरते बाज़ारों में बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के बीच वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट की बढ़ती संभावना स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण हस्तक्षेपों की मंदी से बचने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में तत्काल निवेश की आवश्यकता की ओर इशारा करती है। भारत को इस वक़्त का घरेलू मांग को कैटालाइज़ करने (बढ़ावा देने) के साथ-साथ निर्यात को प्रोत्साहन देकर अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए लाभ उठाना चाहिए।”
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए /IRENA) के महानिदेशक फ्रांसेस्को ला कैमरा ने कहा “ऊर्जा क्षेत्र पर हाल के वैश्विक संकट और भू-राजनीतिक झटकों के प्रभावों के बावजूद, आज भी रिन्यूएबल ऊर्जा नई बिजली उत्पादन के लिए ऊर्जा विकल्प है। IRENA का नवीनतम डाटा इस बात की पुष्टि करता है कि 2022 में रिन्यूएबल ऊर्जा क्षमता में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई है। दुनिया ने रिन्यूएबल ऊर्जा के स्टॉक में 9.6% की वृद्धि की और वैश्विक ऊर्जा परिवर्धन में अभूतपूर्व 83% योगदान दिया। विंड एनर्जी सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले उत्पादन स्रोतों में से एक बनी हुई है। अगर हमें 1.5 सेल्सियस मार्ग पर बने रहना है, तो सदी के मध्य तक रिन्यूएबल ऊर्जा को तीन गुना करना होगा।”
जीडब्लूईसी के चेयरमैन मोर्टन डायरहोल्म ने कहा: “हालिया आईपीसीसी सिंथेसिस रिपोर्ट इसे बिल्कुल स्पष्ट करती है: हमें अभी रिन्यूएबल ऊर्जा का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है। लेकिन पवन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए स्वस्थ उद्योगों की आवश्यकता होती है और स्वस्थ उद्योगों के लिए संपन्न बाजारों की आवश्यकता होती है।
“यह वर्ष, 2023,संभावनाओं को अनुज्ञा में बदलने के लिए, भविष्य में नीलामी और बाज़ार डिज़ाइन को सुरक्षित करने के लिए, बुनियादी ढांचे के निर्माण में तेज़ी लाने के साथ-साथ आपूर्ति और मांग पक्ष पर लचीलेपन के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष होगा। जैसा कि यह रिपोर्ट बताती है, क्षितिज पर ऐसी चुनौतियाँ हैं जिन का सामना करने के लिए साहसिक नीतिगत कार्रवाई और उद्योग के लिए सरकारों से मज़बूत समर्थन की आवश्यकता है।
जीडब्लूईसी और उद्योग दुनिया भर के नीति निर्माताओं के साथ काम करने के लिए तैयार हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम दुनिया भर में पवन ऊर्जा की तैनाती को तेज़ी से बढ़ा सकें।
ब्रायन ओ’नील, निदेशक, ग्लोबल ऑफशोर एंड पावर जनरेशन, रिपोर्ट प्रायोजक लिंकन इलेक्ट्रिक, ने कहा, “इस साल की थीम “द कमिंग एक्सेलेरेशन” सही ढंग से बताती है कि ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला और प्रौद्योगिकी के 1900 के बाद से सबसे तेज़ औद्योगीकरण में से एक का समर्थन करने के लिए क्या आवश्यक है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो सामूहिक वैश्विक पवन ऊर्जा खंड में 2035 और 2050 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर है…विनिर्माण के लिए अतीत और भविष्य की प्रतिबद्धताएं इस औद्योगीकरण को सक्षम बनाएंगी।”
– Climateकहानी
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