ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा: कोर्ट ने दिया वजूखाने को सील करने का आदेश, किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित

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वाराणसी कोर्ट के आदेश की प्रति

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में बड़ा दावा प्रकाश में आया है। वकील विष्णु जैन की ओर से कोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक, मस्जिद के भीतर वजूखाने के अंदर शिवलिंग मिला है। वकील ने इस स्थान को सील करने की कोर्ट से मांग की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने वाराणसी जिला प्रशासन को आदेश दिया है कि मस्जिद के जिस वजूखाने के अंदर शिवलिंग मिला है, उसे सील कर दिया जाए और जिला प्रशासन उसे अपनी सुरक्षा में ले ले।

जानकारी के मुताबिक वकील विष्णु जैन ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि ज्ञानवापी मस्जिद में कथित तौर पर जो शिवलिंग वाली जगह मिली है, उसे सील किया जाए। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए वाराणसी जिला प्रशासन को आदेशित किया है कि मस्जिद के जिस वजू खाने के अंदर से शिवलिंग मिला है, उस जगह को सील करके प्रशासन अपनी सुरक्षा में ले ले।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, सील किए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित कर दिया जाए। इसके अलावा जिला मैजिस्ट्रेट, पुलिस कमिश्नर, सीआरपीएफ कमांडेंट वाराणसी को आदेशित किया जाता है कि वे सील किए गए स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी लें।

कोर्ट ने आगे कहा कि प्रशासन की ओर से क्या-क्या किया गया है, इसके सुपरविजन की जिम्मेदारी पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश तथा मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की होगी।

नंदी के ठीक सामने मिला शिवलिंग

बताया जा रहा है कि नंदी के ठीक सामने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वजू खाने में शिवलिंग मिला है। वजू खाने का पहले पानी खाली कराया गया। बताया गया कि जैसे ही शिवलिंग मिला, परिसर में हर-हर महादेव का नारा लगने लगा। वहीं मुस्लिम पक्ष ने किसी भी तरीके के दावे को बेबुनियाद बताया है।

सर्वेक्षण का काम पूरा

इससे पहले आज वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का काम पूरा हो गया. एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई शनिवार को सुबह शुरू हुई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर जाकर सर्वे किया गया और सभी वादी-प्रतिवादियों की मौजूदगी में वीडियोग्राफ़ी की गई.

12 मई को वाराणसी कोर्ट की एक बेंच ने वहाँ वीडियोग्राफ़ी जारी कराने का आदेश दिया था.

इस सर्वे की समाप्ति और उससे जुड़ी जानकारी देते हुए बनारस के पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश ने कहा, “सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहूंगा कि व्यापक स्तर की जो सुरक्षा हमने दी थी, उसके कई चरण थे. हमने सभी स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक कर एक कंसेंसस बनाया कि यह कोर्ट का आदेश है और उसका पालन करना हम सबका संवैधानिक दायित्व है.”

क्योंकि मस्जिद के सर्वेक्षण से जुड़ा मामला संवेदनशील था, तो उसकी व्यापक तैयारियाँ की गईं थीं. उनके बारे में जानकारी देते हुए सतीश गणेश ने कहा, “शहर में हर थाना स्तर पर लोगों के साथ संवाद किया, बातचीत की, उनके मन में भ्रांतियों को दूर किया.”

“हमने सुरक्षाबलों की तैनाती भी की और एक और हमने भरोसा बढ़ाने का काम भी किया. इस वजह से यह तीन दिन की कार्रवाई आज औपचारिक तौर पर समाप्त हो गई है.”

सतीश गणेश ने यह भी हिदायत दी कि इस मामले में किसी भी आधिकारिक बयान के अलावा किसी अन्य बयान पर ध्यान ना दिया जाए.

क्या है मामला

पाँच महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे वाले हिस्से में मां शृंगार गौरी की पूजा और दर्शन करने की मांग की थी.

साथ ही उन्होंने प्लॉट नंबर 9130 के निरीक्षण और वीडियोग्राफी की मांग भी की थी जिसे मंज़ूर करते हुए कोर्ट ने निरीक्षण और उसकी वीडियोग्राफी के आदेश दिए थे.

जानकारी लीक होने पर क्या बोले अधिकारी

कमीशन की करवाई की गोपनीयता एक बार दोहराते हुए बनारस के डीएम कौशल राज शर्मा ने कहा, “एडवोकेट कमिश्नर के द्वारा सभी पक्षों को यह निर्देश दिए गए थे कि रिपोर्ट कोर्ट में 17 मई को पेश होगी और तब तक कोई यह बताइए कि अंदर क्या मिला है.”

“लेकिन किसी ने अपनी निजी इच्छा से बताने की कोशिश की है, तो कोई भी उसकी प्रमाणिकता साबित नहीं कर सकता. सिर्फ़ कोर्ट इस सूचना का कस्टोडियन है. अगर किसी ने भी आपको यह बात बताई है तो यह उनके निजी विचार है. इससे कोर्ट कमीशन की करवाई का कोई लेना देना नहीं है.”
अब एडवोकेट कमिश्नर मंगलवार को अपनी रिपोर्ट बनारस के सिविल जज को सौंपेंगे.

-एजेंसियां