“परीक्षा पे चर्चा” कार्यक्रम में पीएम मोदी ने छात्रों के सवालों के रोचक अंदाज में दिए जवाब

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पीएम मोदी ने कहा- “आप लोग परीक्षा देकर दोस्तों, परिवार या शिक्षकों के साथ बैठकर अपनी परीक्षा के बारे में चर्चा करते हैं और कोई जवाब गलत हुआ तो आप कहते हैं कि ये आउट ऑफ सिलेबस है। ये भी आउट ऑफ सिलेबस है, लेकिन मैं अंदाजा लगा सकता हूं कि आप क्या कहना चाह रहे हैं। अगर आपने मुझे ना जोड़ा होता तो आप और अच्छी तरह से कह पाते ।

आपके परिवार के लोग भी कार्यक्रम सुन रहे हैं, तो ऐसा खुलकर बोलने में खतरा है इसलिए बड़ी चतुराई से आपने मुझे लपेटे में ले लिया। जहां तक मेरा सवाल है, तो मेरा एक सिद्धांत है कि मैं मानता हूं समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धीयग्न है। आलोचना समृद्ध लोकतंत्र की पूर्व शर्त है।” पीएम मोदी ने इस दौरान और भी कई सवालों के जवाब दिए।

आईए जानते हैं कार्यक्रम में क्या बोले पीएम-

पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा पर चर्चा उनकी भी परीक्षा है और देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी उनकी परीक्षा ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “मुझे ये परीक्षा देने में आनंद आता है। परिवारों को अपने बच्चों से उम्मीदें होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर यह सिर्फ सामाजिक स्थिति बनाए रखने के लिए है, तो यह खतरनाक हो जाता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “सिर्फ परीक्षा के लिए नहीं वैसे भी जीवन में हमें समय के प्रबंधन के प्रति जागरूक रहना चाहिए। काम का ढेर इसलिए हो जाता है क्योंकि समय पर उसे नहीं किया। काम करने की कभी थकान नहीं होती, काम करने से संतोष होता है। काम ना करने से थकान होती है कि इतना काम बचा है।”

पीएम ने कहा, “एक बार आपने इस बात को स्वीकार कर लिया कि मेरी ये क्षमता है ये स्थिति है तो मुझे इसके अनुकूल चीजें खोजनी होंगी।”

उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग सामान्य होते हैं, असाधारण लोग बहुत कम होते हैं। सामान्य लोग असामान्य काम करते हैं और जब सामान्य लोग असामान्य काम करते हैं तब वे ऊंचाई पर जाते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “मेहनती बच्चों को चिंता रहती है कि मैं मेहनत करता हूं और कुछ लोग चोरी कर अपना काम कर लेते हैं। ये जो मूल्यों में बदलाव आया है ये सामज के लिए खतरनाक है।”

पीएम मोदी ने कहा कि अब जिंगदी बदल चुकी है जगत बहुत बदल चुका है। आज हर कदम पर परीक्षा देनी पड़ती है। नकल से जिंदगी नहीं बन सकती है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया में जब आर्थिक तुलना की गई तो, इसमें भारत को एक आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है। 2-3 साल पहले हमारी सरकार के विषय में लिखा जाता था कि इनके पास कोई अर्थशास्त्री नहीं है सब सामान्य हैं और पीएम को अर्थशास्त्र के बारे में कुछ नहीं पता। जिस देश को सामान्य कहा जाता था वे आज चमक रहा है।”

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग हैं जो बहुत मेहनत करते हैं। कुछ लोगों के लिए कड़ी मेहनत उनके जीवन के शब्दकोश में मौजूद नहीं है। कुछ मुश्किल से स्मार्ट वर्क करते हैं और कुछ स्मार्ट तरीके से हार्ड वर्क करते हैं। हमें इन पहलुओं की बारीकियों को सीखना चाहिए और परिणाम के लिए उसके अनुसार ही काम करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि हम राजनीति में कितने ही चुनाव क्यों न जीत लें लेकिन ऐसा दवाब पैदा किया जाता है कि हमें हारना नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि चारों तरफ से दबाव बनाया जाता है। क्या हमें इन दबावों से दबना चाहिए? अगर आप अपनी एक्टिविटी पर फोकस रहते हैं तो आप ऐसे संकट से बाहर आ जाएंगे। कभी भी दबावों के दबाव में न रहें।

Compiled: up18 News