रक्षाबंधन त्यौहार को आध्यात्मिक दृष्टि से मनाने का महत्व

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येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।

अर्थ: महाबली और दानवीर ऐसे बलि राजा जिस रक्षासूत्र से बांधे गए उस रक्षा सूत्र से मैं आपको भी बांधती हूँ, हे राखी आप रक्षा करें।

चावल के कणों के समूह को राखी कहकर रेशमी धागे से बांधने की पद्धति क्यों है ? – ‘चावल यह सर्वसमावेशक का प्रतीक है अर्थात वह अपने में सबको समा लेता है उसी प्रकार वह सभी तरंगों का उत्तम आदान-प्रदान करने वाला होता है। चावल को सफेद कपड़े में बांधकर रेशमी धागे से शिव रूपी जीव के सीधे हाथ में बांधने से एक प्रकार से सात्विक रेशमी बंधन सिद्ध करना होता है। रेशमी धागा सात्विक तरंगों का उत्तम वाहक है।

बहन भाई का आपस का लेन-देन हिसाब खत्म होने में सहायता होना –  बहन और भाई का एक दूसरे से सामान्यतः 30% लेन-देन का हिसाब रहता है। लेन-देन का हिसाब राखी पूर्णिमा जैसे त्यौहार के माध्यम से कम होता है, अर्थात स्थूल (व्यवहारिक ) रूप से तो एक दूसरे के बंधन में बंधते हैं; परंतु सूक्ष्म (आध्यात्मिक ) रूप से एक दूसरे का आपस का लेन-देन का हिसाब खत्म कर रहे होते हैं । प्रत्येक वर्ष बहन और भाई का इसी भाव से लेन-देन का हिसाब कम हो इस प्रतीक के रूप में राखी बांधी जाती है। बहन और भाई को आपस के लेन-देन का हिसाब कम करने की संधि होने के कारण दोनों को इसका लाभ लेना चाहिए ।

बहन ने भाई को राखी बांधते समय कैसा भाव रखना चाहिए ? – श्रीकृष्ण की अंगुली से बहते हुए रक्त को रोकने के लिए द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाडकर उनकी अंगुली में बांधा । बहन, भाई को होने वाले कष्ट को कदापि सहन नहीं कर सकती । उस पर आए संकट को दूर करने के लिए वह कुछ भी कर सकती है, राखी पूर्णिमा के दिन प्रत्येक बहन ने भाई को राखी बांधते समय यही भाव रखना चाहिए ।

रक्षाबंधन के दिन बहन द्वारा किसी भी प्रकार की अपेक्षा ना रखते हुए राखी बांधने का महत्व –

रक्षाबंधन के दिन बहन ने भाई से वस्तु रूप में किसी भी चीज की अपेक्षा मन में रखने से उस दिन मिलने वालें आध्यात्मिक लाभ से वंचित रहती है। यह दिन आध्यात्मिक दृष्टि से लेन-देन का हिसाब कम करने के लिए होता है। अपेक्षा रखकर वस्तु प्राप्त करने से लेन-देन का हिसाब 3 गुना और बढ़ जाता है।

भाई द्वारा सात्विक भेट देने का महत्व – असात्विक भेंट रज और तम प्रधान होती है, इसलिए भाई ने बहन को सात्विक भेंटवस्तु देनी चाहिए । सात्विक भेंटवस्तु में किसी भी प्रकार का धार्मिक ग्रंथ, माला या ऐसी कोई वस्तु जो बहन की साधना करने में सहायक हो ।

प्रार्थना करना – बहन ने भाई के कल्याण के लिए और भाई ने बहन के रक्षा के लिए प्रार्थना करने के साथ ही साथ दोनों ने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए भी हमसे प्रयत्न होने दें इस प्रकार से ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए।

राखी के माध्यम से होने वाले देवताओं की विडंबना (अनादर) रोकना ! – आजकल राखी पर ओम, स्वस्तिक या देवताओं के चित्र होते हैं। राखी का प्रयोग करने के पश्चात वह इधर-उधर गिरी होने के कारण एक प्रकार से देवता और धर्म के प्रति उनका विडंबन (अनादर) ही होता है, इस कारण पाप लगता है, यह रोकने के लिए राखी को पानी में विसर्जित करें।

संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘त्यौहार मनाने की उचित पद्धतियां और अध्यात्मशास्त्र

– कु. कृतिका खत्री
सनातन संस्था, दिल्ली