अगले चुनाव में मैं अपने लिए कोई पोस्‍टर-बैनर नहीं लगाऊंगा: नितिन गडकरी

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वोट माल-पानी से नहीं मिलता

गडकरी ने कहा कि आजकल लोग होशियार हो गए हैं। चुनाव के समय माल-पानी मिलता है तो रख देते हैं। पति एक को वोट देता है, पत्नी एक को वोट देती है और बच्चा तीसरी तरफ चला जाता है। लेकिन असल वोट तो मिलता है सेवा की राजनीति से। विकास की राजनीति से, गांव में गरीबों के कल्याण से, स्वास्थ्य सुविधाओं से, युवाओं को रोजगार देने से, बच्चों को अच्छा स्कूल देने से। गरीबों को अच्छे अस्पताल देने से वोट मिलता है।

पोस्टर, बैनर नहीं लगाऊंगा, चाय भी नहीं पिलाऊंगा

गडकरी ने कहा कि जो बात मैं कहता हूं वो सब एमएलए-एमपी को कहना चाहूंगा। उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत मुश्किल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। मुझे सभी नेताओं ने मना किया था। पर मैं जिद के साथ लड़ा था। पर अब मैंने ये तय कर लिया है कि अगले चुनाव में मैं कोई पोस्टर नहीं लगाऊंगा, बैनर भी नहीं लगाऊंगा, चाय नहीं पिलाऊंगा, कुछ नहीं करूंगा। जिसको वोट देना है देगा, नहीं देगा। मेरा विश्वास है कि पहले साढ़े 3 लाख की जीत की मार्जिन है अब वो और एकाध लाख बढ़ जाएगी।

जिंदा मछली का दिया उदाहरण

गडकरी ने भैरो सिंह शेखवात की जन्मशती के अवसर पर कहा कि हमारी राजनीति में सबसे बड़ी समस्या विचारशून्यता का है। गडकरी ने कहा कि जो सही नेता होता है वो प्रवाह के खिलाफ बोलने की हिम्मत दिखाता है। अली दस्तूर करके एक बहुत विद्वान विदुषी थीं जो काफी अच्छी बात कहकर गईं हैं कि नदी जब बहती है तो उसके प्रवाह के साथ कूड़ा-कचरा मछली सब बहती है। जो मरी हुई मछली होती है वो प्रवाह के साथ बहती है, लेकिन जो जिंदा मछली है वो प्रवाह के खिलाफ तैरती है, ये उसके जिंदादिली का उदाहरण है। जब कांग्रेस की सत्ता चरम सीमा पर थी, जनसंघ कभी सत्ता में आएगी ऐसा लग नहीं रहा था, तब अपने विचारधारा पर अटल रहकर भैरो सिंह शेखावत ने पार्टी के विचार को आगे बढ़ाया।

Compiled: up18 News