मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर घोषित सपा प्रत्याशी का भारी विरोध, मंथन शुरू

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सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी में चल रही गुटबाजी को देखते हुए नए चेहरे को मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर बाहरी नए चेहरे को टिकट देकर गुटबाजी खत्म करने की कोशिश की। पार्टी मुखिया के इस फैसले का पार्टी में मौजूद नेताओं ने विरोध तो नहीं किया लेकिन खामोश रह कर समर्थन भी नहीं किया। सूत्रों की मानें तो कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी शुरू हो गई है। सभी ने नए चेहरे से दूरी बनाते हुए चुनाव में काम न करने की बात कही है ।

सोशल मीडिया पर शुरू हुआ नाराजगी का सिलसिला

ट्विटर, फेसबुक, आदि सोशल मीडिया पर स्थानीय जनता बाहरी व्यक्ति का विरोध करती नजर आ रही है। जनता ट्विटर पर लिख रही है पांच लाख की मुस्लिम आबादी पर बाहरी को टिकट दिया जबकि ओवैसी की पार्टी पिछले विधान सभा चुनाव में दूसरे नंबर पर थी। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा की सपा ने भानु प्रताप को डमी प्रत्याशी बना भाजपा और एआईएमआईए में सीधी टक्कर के लिए मैदान में उतार दिया।

सपाई और जनता एक-दूसरे से पूछ रहे कौन है कैंडिडेट

सपा द्वारा घोषित किए गए कैंडिडेट भानु प्रताप सिंह को लेकर चारों तरफ से यही प्रश्न उठने लगा है कि कौन है व्यक्ति, जिसका कभी नाम नहीं सुना। ये व्यक्ति कभी सपा की राजनीति में सक्रिय नहीं रहा, पार्टी जिलाध्यक्ष से लेकर स्थानीय कार्यकर्ता तक इसे कोई नहीं जानता। चारों तरफ से सपाई एक दूसरे को फोन घुमाकर यही सवाल उठा रहे थे कि आखिर यह भानु प्रताप सिंह हैं कौन?

स्थानीय लोग बोले, मुस्लिम विरोधी हो गई सपा

इस मामले पर जब मुस्लिम क्षेत्र में जब बातचीत की तो उन्होंने साफ कहा है। अखिलेश यादव ने एक बाहरी प्रत्याशी को मेरठ सीट पर लाकर मुस्लिम विरोधी होने का प्रमाण दे दिया है। जनता बोली की आखिर एक बाहरी व्यक्ति को क्यों चुनाव लड़ाया जा रहा है, जिसे शहर स्थानीय नेता और कार्यकर्ता नहीं जानते। मुस्लिम के स्थान पर दलित को टिकट देकर अखिलेश यादव ने मुस्लिमों के साथ धोखा किया है।

क्या भानु प्रताप सिंह का कटेगा टिकट..?

स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओ के साथ जनता की नाराजगी पार्टी मुख्या तक पहुंच चुकी है। सूत्रों की माने तो इस मामले पर अब पार्टी हाई कमान ने फिर से मंथन शुरू कर दिया है। सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि किसी स्थानीय नेता को टिकट दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन पार्टी की गुटबाजी चरम पर होने के कारण मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट जीतनी गठबंधन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

-एजेंसी