स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया, निपाह वायरस से हुई दो लोगों की मौत

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मांडविया ने कहा, केरल के कोझीकोड में निपाह वायरस से दो लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. इससे पहले निपाह वायरस के सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए थे. केरल सरकार ने मंगलवार को कंट्रोल रूम भी बनाया है और लोगों से मास्क पहनने के लिए कहा है. निपाह वायरस के ख़तरे को देखते हुए केरल सरकार ने कोझीकोड में अलर्ट जारी किया है.

निपाह वायरस से होने वाले इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.

मई 2018 में केरल में सबसे पहले निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी. उस वक़्त इसकी वजह से 17 लोगों की जान गई थी.

कैसे फैलता है निपाह वायरस?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ निपाह वायरस (NiV) तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है.

NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था.

वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला. उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे. लेकिन इसके बाद जहां-जहां NiV के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे. साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए.

इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है. आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है.

मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा रहता है.

Compiled: up18 News