घोर लापरवाही: चंबल रिवरफ्रंट के नीचे दबा दीं 16वीं शताब्दी की देव प्रतिमाएं, गहलोत सरकार पर उठे सवाल

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दरअसल, 1200 करोड़ की लागत से बनाए रिवरफ्रंट के नीचे 16वीं शताब्दी की देव प्रतिमाएं जमींदोज हो गई हैं। इस खुलासे से प्रशासन की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। साथ ही गहलोत सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। लोगों का कहना है कि गहलोत सरकार की इस लापरवाही के चलते अब रिवरफ्रंट पर भगवान के दर्शन नहीं होंगे। दर्शन होंगे तो अब सिर्फ सरकार की ओर से 1200 करोड़ रुपए खर्च करके बनाए गए चंबल रिवर फ्रंट के ही होंगे।

बता दें कि कोटा बैराज से लेकर नयापुरा पुल तक चंबल नदी के दोनों किनारों पर दीवार खड़ी करके रिवर फ्रंट बनाया गया है। नौकायन के लिए चंबल में दीवार खड़ी करके एनिकट बनाया गया है, लेकिन इस सौंदर्यकरण और डवलपमेंट के बीच जो कुछ हुआ उससे आम लोगों से लेकर संत समाज नाराज है। रिवर फ्रंट बना तो उसकी नींव यानी फाउंडेशन में कुन्हाड़ी छोर पर बटक के बालाजी मंदिर के नीचे चंबल किनारे स्थित विशाल चट्टानों की तराईयों में 16वीं शताब्दी से मौजूद भगवान महादेव का शिवलिंग, भगवान गणेश की प्रतिमा, भगवान ब्रम्हा की प्रतिमा, भगवान हनुमान और नंदी की प्रतिमाएं मिट्टी कंक्रीट से दबा दी गई। यहां भगवान विष्णु के दशवतार की भी प्रतिमा थी, वो भी दब गई हैं। इस लापरवाही के चलते अब कलात्मक प्रतिमाएं दुनिया की दृष्टि से दूर हो गई हैं जबकि रिवरफ्रंट को देखने हेतु आने वाले लोग इन 16वीं शताब्दी की प्रतिमाओं के दर्शन कर सकते थे।

सरकार पर लगाए जा रहे हैं गंभीर आरोप

रिवर फ्रंट के डवलपमेंट के दौरान यहां बालाजी मंदिर में लगी भगवान की कई प्रतिमाओं के दबने से गहलोत सरकार की घेराबंदी शुरू हो गई है। यह तक आरोप लगा जा रहे हैं कि जान-बूझकर यहां भगवान की प्रतिमाओं के साथ खिलवाड़ किया गया। सरकार यह नहीं चाहती थी कि लोग रिवर फ्रंट पर भगवान की प्रतिमाओं के दर्शन करें। इस पूरे मामले में कोटा के लोग विपक्ष को भी घेर रहे हैं। लोगों का कहना है कि बीजेपी जो सनातन धर्म की रक्षा और मंदिरों की सुरक्षा का खुद को ठेकेदार बताती है। वह इस पूरे मसले पर आज तक मौन क्‍यों है। इस पूरे घटनाक्रम का जिम्मेदार लोग गहलोत सरकार के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को मान रहे हैं।

पायलट खेमे के नेता ने उठाया पूरा मामला

रिवर फ्रंट के नीचे 16 वीं शताब्दी की प्रतिमाएं दबाए जाने की जानकारी मिलने पर एक कांग्रेस नेता ने ही इसका खुलासा किया है। गहलोत सरकार और प्रशासन की इस लापरवाही के बाद इसके खिलाफ कांग्रेस का पायलट खेमा खड़ा हुआ है। पायलट खेमे के नेता क्रांति तिवारी ने इस पूरे मसले को उठाया। सोशल मीडिया पर जनसमर्थन जुटाया।क्रांति तिवारी की ओर से पूरे मामले को उठाने के बाद गहलोत सरकार जागी है। चुनावी साल में बड़ा भारी नुकसान ना हो जाए लिहाजा आनन फानन में भगवान महादेव, गणेश, ब्रह्मा, हनुमान, नंदी और अन्य प्रतिमाओं को मजदूरों से उस जगह से निकलवाया जा रहा है। जहां पर मिट्टी कंक्रीट से उन्हें दफन कर दिया गया था।

पिछले 1 सप्ताह से ज्यादा समय से पानी के पंप सेट यहां पर लगा रखे हैं। क्योंकि लगातार पानी आ रहा है। एक वक्त था कि यह प्रतिमाएं चंबल नदी के पानी से करीब 5 से 10 फीट हाइट पर थीं लेकिन आज चंबल के पानी के लेवल से ये प्रतिमाएं नीचे चली गई हैं। फिलहाल इन प्रतिमाओं को निकालने का काम जारी है। ज्यादातर प्रतिमाएं निकाल ली गई हैं लेकिन अभी भी बटक के बालाजी मंदिर के नीचे चट्टानों की कराइयों में 16वीं शताब्दी से कान्हा कराई वाली जगह पर मौजूद दशावतार अभी भी दफन हैं।

सरकार की ओर से इस स्थान के मूल स्वरूप में किए गए बदलाव के बाद लोग यहां गहलोत सरकार और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को सद्बुद्धि देने की कामना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये प्राचीन प्रतिमाएं ना सिर्फ कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्‍कि आस्था की प्रतीक भी हैं।

Compiled: up18 News