आगरा: एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) द्वारा इस साल जून तक आगरा मंडल के चार जिलों में कुल 215 बच्चों को बचाया गया था। वहीं एक रिपोर्ट से पता चला है कि उनमें से केवल एक बच्चे को सरकारी योजना के तहत लाभ मिला और दूसरे को फिरोजाबाद जिले के सरकारी आश्रय गृह में भेज दिया गया। वहीं बाकी बच्चे आज भी भीख मांगने या मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं।
बड़ी संख्या में हुआ था रेस्क्यू
आंकड़ों से पता चला कि पिछले दो वर्षों में फिरोजाबाद जिले में 57 लड़कों और 23 लड़कियों सहित 80 बच्चों को बचाया गया था। मथुरा में 24 बच्चे, जिनमें 10 लड़के और 6 लड़कियां; मैनपुरी जिले में 10 लड़के और 6 लड़कियों समेत 16 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। आगरा में, 5 से 17 वर्ष की आयु के 61 लड़कों और 34 लड़कियों सहित 95 बाल भिखारियों को बचाया गया। मगर इसके बाद सरकार इनकी सुध लेना ही भूल गई।
नहीं मिल रहा कोई लाभ
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि बचाए गए बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने के बाद उनके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया। आगरा के बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस ने दावा किया कि इनमें से किसी भी बच्चे या उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। पुनर्वास सहायता के बिना, ये बच्चे सड़कों पर भीख मांगने के लिए लौट आते हैं या बाल मजदूरों के रूप में काम करना शुरू कर देते हैं।
पारस ने कहा, “इन बच्चों को बचाना एक औपचारिकता बनी हुई है, अधिकारियों द्वारा उनके पुनर्वास के लिए शायद ही कोई प्रयास किया गया है। राज्य सरकार को बचाए गए सभी बच्चों का फॉलोअप सुनिश्चित करना चाहिए ताकि उन्हें फिर से सड़कों पर भीख मांगने से रोका जा सके।”
-एजेंसी