गोधरा के गुनहगारों ने माफी की अपील में राजीव गांधी के हत्‍यारों का हवाला दिया

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गोधरा के दोषियों की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि लगभग सभी दोषियों ने 16-18 साल की सजा काट चुके हैं। उन्होंने दलील दी कि कई मामलों में ट्रायल कोर्ट की सजा पर सवाल उठते रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के यूपी सरकार को दिए उस आदेश का भी जिक्र किया जिसमें शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को आजीवन कारावास की सजा में 14 साल जेल में काट चुके लोगों के लिए माफी पर विचार करने के कहा था।

तुलसी ने कहा कि 2017 में गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले खिलाफ याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसमें अदालत ने 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दी थी और बाकी की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था। उन्होंने कहा कि इन दोषियों को जमानत दी जानी चाहिए।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़. जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जीबी पारदीवाला की पीठ ने गुजरात सरकार की तरफ से पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पूछा कि क्या इन दोषियों को माफी दी जा सकती है। मेहता ने कहा कि ये अपराध घृणित प्रकृति का है। ट्रेन को रोका गया, साबरमती के एस-6 कोच में बाहर से पेट्रोल डाला गया और उसमें आग लगा दी गई। इसके बाद इस घटना के षडयंत्रकारी और उसे अंजाम देने वाले लोग बोगी पर पथराव करने लगे। जिस कारण इस जलती बोगी में बैठे यात्री ट्रेन से बाहर नहीं निकल पाए। यही नहीं इन्होंने दमकल की गाड़ियों को भी ट्रेन के पास पहुंचने से रोका। जिसके कारण बच्चे, महिलाओं समेत 59 लोगों की मौत हुई थी। इससे ज्यादा घृणित और रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने राज्य के हाईकोर्ट के उस 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ भी याचिका दाखिल की है।

मेहता ने कहा कि इन दोषियों के खिलाफ टाडा लगाया गया है और ये किसी प्रकार के राहत के हकदार नहीं हैं। गौरतलब है कि गोधरा केस में एक दोषी को मानवीय ग्राउंड पर जमानत पर रिहा किया गया है। दोषी की पत्नी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही है और उसकी दो छोटी बच्चियों की दिमागी सेहत ठीक नहीं है। इस बिना पर कोर्ट ने उसे जमानत पर रिहा किया था। हालांकि, इस दोषी की याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित भी है।

मेहता की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड और राज्य सरकार के वकील स्वाति घिल्डियाल को गोधरा कांड के दोषियों की डिटेल रिपोर्ट तैयार करने को कहा। कोर्ट में तीन सप्ताह बाद अब मामले की सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने 2017 में गोधरा कांड के 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। इसके अलावा 20 से ज्यादा दोषियों के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था जबकि 63 आरोपियों को बरी कर दिया था।

Compiled: up18 News