वैदिक ऋषियों वाले भारत के लिए अनोखी नहीं हैं जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा खोजी गई आकाशगंगाएं

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वैज्ञानिकों का कहना है कि सृष्टि की उत्पत्ति एक महाविस्फोट के कारण हुई। रोचक बात यह है कि ऋग्वेद के मंत्रों में इनके संकेत मिलते हैं। सुपर कंप्यूटरों और बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाओं के माध्यम से आधुनिक मनुष्य जिन विषयों पर आज रिसर्च कर रहा है, वैदिक ऋषियों ने युगों पहले उन पर एक सार्थक चिंतन किया था।

हमारे ऋषियों ने समाधि अवस्था में जाकर अपनी व्यक्तिगत मेधा को ब्रह्मांडीय मेधा के साथ एकाकार कर दिया। इससे उन्हें ब्रह्मांड की सारी चीजें स्पष्ट हो गईं और उसे उन्होंने श्रुति परंपरा में डाल दिया। उसे ही बाद में लेखनीबद्ध किया। इसलिए इसे दर्शन कहा गया। इसे वह देखता है। कहा भी गया है “ऋषयो मंत्रद्रष्टार:”। ऋषि मंत्रों को देखते हैं… देख कर साक्षात्कार किया। इसलिए उन्होंने वेद-वेदांग, षड दर्शन, ब्राह्मण, आरण्यक आदि ग्रंथों की रचनाएं कीं।

बहरहाल अब जो वैज्ञानिकों ने विराट आकाशगंगाएं खोजी हैं , उनके बारे में कहा जा रहा है कि उनका निर्माण बिग बैंग के सिर्फ साठ करोड़ साल बाद हुआ होगा. ये बेहद विशाल आकाशगंगाएं हैं जिन्हें जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के जरिए खोजा गया है हालांकि जेम्स वेब इनसे भी पुरानी आकाशगंगाएं खोज चुका है जिनका निर्माण बिग बैंग के 30 करोड़ साल बाद हुआ हो सकता है लेकिन नई खोजी गईं आकाशगंगाएं अपने आकार और परिपक्वता के कारण विशेष हैं.

22 फरवरी 2023 को प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि जेम्स वेब की इस खोज से वैज्ञानिक हैरान हैं. मुख्य शोधकर्ता ऑस्ट्रेलिया की स्वाइनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के आइवो लाबे और उनकी टीम ने यह खोज की है. हालांकि इस दल को उम्मीद थी कि ब्रह्मांड के निर्माण की शुरुआत में छोटी-छोटी आकाशगंगाएं बनी होंगी. उन्हें इतनी बड़ी आकाशगंगा मिलने की उम्मीद नहीं थी.

लाबे बताते हैं, “उस युग की ज्यादातर आकाशगंगाएं अब भी छोटी हैं और धीरे धीरे उनका आकार बढ़ रहा है. लेकिन कुछ विराटकाय समूह हैं जिन्होंने ब्रह्मांड को तेज गति दी. ऐसा क्यों हुआ और कैसे हुआ होगा, इस बारे में कोई जानकारी फिलहाल नहीं है.”

नेचर पत्रिका में छपे इस अध्ययन में कहा गया है कि इस खोज में कुल छह तारा समूह मिले हैं जिनका वजन हमारे सूर्य से कई अरब गुना ज्यादा है. उनमें से एक तो इतनी बड़ी है कि उसमें मौजूद कुल सितारों का वजन हमारे सूर्य से 100 अरब गुना ज्यादा है. फिर भी, वैज्ञानिक मान रहे हैं कि ये आकाशगंगाएं बहुत सघन हैं. इनमें भी तारों की संख्या तो उतनी ही है जितनी हमारी आकाश गंगा मिल्की वे में है लेकिन वे बहुत पतली पट्टी में सिमटे हुए हैं.

लाबे ने कहा कि उन्हें जब नतीजे मिले तो उन्हें और उनके साथियों को तो उन पर यकीन ही नहीं हुआ कि समय के इतने शुरुआती दौर में भी मिल्की वे जैसी परिपक्व आकाशगंगाएं हो सकती हैं. इसलिए उनकी दोबारा पुष्टि की गई. वे चीजें इतनी बड़ी और चमकदार थीं कि कुछ वैज्ञानिकों को तो नतीजे ही गलत लगने लगे.

लाबे ने कहा, “हमारा तो दिमाग हिल गया था. यह हास्यास्पद था.”

इस शोध में शामिल रहे पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के जोएल लेया कहते हैं कि ये आकाशगंगाएं ‘ब्रह्मांड के पथद्रष्टा’ हैं. उन्होंने बताया, “यह रहस्योद्घाटन की ब्रह्मांड के इतिहास की इतनी शुरुआत में ही विशाल आकाशगंगाओं का निर्माण शुरू हो गया था, विज्ञान में मौजूद अवधारणओं को बदल देता है. जो हमने खोजा है, उससे विज्ञान के सामने बड़ी समस्याएं पैदा होती हैं. शुरुआती आकाशंगगाओं के निर्माण की प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं.”

जेम्स वेब का एक और कमाल

दस अरब डॉलर की लागत वाले जेम्स वेब टेलीस्कोप से जो शुरुआती डेटा मिला था, वह आकाशगंगाओं के बारे में ही था.एक साल पहले ही नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने अब तक के सबसे बड़े टेलीस्कोप को अंतरिक्ष में भेजा था. इसे हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी माना जाता है, जिसे 33 साल पूरे हो रहे हैं.

हबल के उलट जेम्स वेब बहुत ज्यादा बड़ा और कहीं ज्यादा ताकतवर है. अपने इंफ्रारेड कैमरों के जरिए यह अंतरीक्षीय धुंध के पार भी देख सकता है. इस तरह जेम्स वेब ने वे आकाशगंगाएं खोजी हैं जिन्हें अब से पहले देखा ही नहीं गया था. वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि इस टेलीस्कोप के जरिए वे सबसे पहले बने तारे और सबसे पहली आकाशगंगाओं का निर्माण देख पाएंगे जो बिग बैंग के वक्त यानी 13.8 अरब साल पहले बने होंगे.

वैज्ञानिक आधिकारिक तौर पर इन तारा समूहों को आकाशगंगा कहने के लिए आधिकारिक पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं. लेया कहते हैं कि संभव है कि कुछ तारा समूहों को आकाशगंगा ना कहा जाए बल्कि ये अति विशाल ब्लैक होल हों. वह कहते हैं कि इसका पता अगले साल तक ही चल पाएगा.

खैर बात तो ये है कि अब जो खोज हुई, यह ना तो हमारे लिए अनोखी है और ना ही अजूबी क्‍योंकि ऋग्‍वेद में ऐसे कई सूत्र है जो बताते हैं कि सात सौर मंडल है , सात ही आकाश गंगायें और हैं ।

– एजेंसी