आगरा: नेपाल केसरी जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि हमारे जीवन में आंतरिक शत्रु सफलता में बाधक रहते हैं। उन पर विजय प्राप्त करके ही हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
जैन स्थानक, राजामंडी में आयोजित भक्तामर स्रोत अनुष्ठान में प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा कि हमारे आंतरिक शत्रु लोभ, माया, झूठ, फरेब, क्रोध, माया आदि हैं। यही दुगुर्ण हमारे सामाजिक और पारिवारिक लोगों को दुश्मन बनाते हैं। जो हमारे जीवन में कांटे बोते हैं। इन आंतरिक दुश्मनों की वजह से हमारे दोस्त दुश्मन बन जाते हैं। परिवार में कलह होती है। परिवारों में विघटन होता है।
जैन मुनि ने कहा कि जन्म से कोई किसी का दुश्मन नहीं होता। बचपन तो बिलकुल निश्छल और निष्कपट होता है। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे आंतरिक शत्रु प्रबल होते जाते हैं और फिर हम घिर जाते हैं बाहरी शत्रुओं से। जैन मुनि ने कहा कि हम किसी का सम्मान करते हैं, उसमें भी हमारे मन में सभी के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए। श्रद्धा भी तभी होती है, जब हम किसी के गुणों को देखेंगे। उन्हें आत्मसात करेंगे। इसलिए अपने जीवन को सरल और सहज बनाएं और आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करें।
नेपाल केसरी ,मानव मिलन संस्थापक डॉक्टर मणिभद्र मुनि,बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में सोमवार को तेइसवीं एवम चोबीसवीं गाथा का लाभ केश शाह , आशू राजीव बरार परिवार राजा की मंडी ने लिया।
नवकार मंत्र जाप की आराधना मधु बुरड़,नेहा अमित लोहड़े परिवार दयालबाग ने की। सोमवार की धर्मसभा में पोखरा नेपाल के वित्त प्रमुख जयराम पौडेले एवम मेरठ से कपिल जैन पधारे थे जिनका ट्रस्ट की तरफ से राजीव चपलावत ने स्वागत किया।सोमवार के अनुष्ठान में ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक जैन ओसवाल, राजेश सकलेचा, केश शाह, विवेक कुमार जैन, वैभव जैन, सचिन जैन, अमित जैन आदि उपस्थित थे।
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