तेजी से आर्थिक सुधार के मद्देनजर फिच ने भारत के रेटिंग परिदृश्य में किया सुधार

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फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि उसने भारत की सॉवरेन रेटिंग के परिदृश्य को दो साल बाद नकारात्मक से स्थिर कर दिया है, क्योंकि तेजी से आर्थिक सुधार के कारण मध्यम अवधि के दौरान वृद्धि में गिरावट का जोखिम कम हो गया है। फिच रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को ‘बीबीबी-’ पर कायम रखा।

रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘परिदृश्य में संशोधन हमारे इस विचार को दर्शाता है कि वैश्विक जिंस कीमतों में तेजी के झटकों के बावजूद भारत में आर्थिक सुधार और वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों में कमी के कारण मध्यम अवधि के दौरान वृद्धि में गिरावट का जोखिम कम हो गया है।’’

हालांकि, फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 7.8 प्रतिशत कर दिया है, जिसके पहले 8.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई थी। वैश्विक जिंस कीमतों में तेजी के कारण महंगाई बढ़ने के चलते यह कटौती की गई।

फिच ने कहा, ‘‘भारत की अर्थव्यवस्था में कोविड-19 महामारी के झटके से ठोस सुधार देखने को मिल रहा है।’’
पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी और देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई को चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। फिच ने जोर देकर कहा कि भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि संभावनाएं ठोस बनी हुई हैं।

फिच ने कहा कि समकक्षों के मुकाबले भारत का मजबूत वृद्धि परिदृश्य रेटिंग के लिए एक प्रमुख सहायक कारक है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘हमें वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2026-27 के बीच लगभग सात प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। यह सरकार के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने और वित्तीय क्षेत्र में दबाव कम करने से प्रेरित है। फिर भी, आर्थिक सुधार और कार्यान्वयन की असमान प्रकृति को देखते हुए इस पूर्वानुमान के लिए चुनौतियां भी हैं।’’

एजेंसी ने जून 2020 में भारत के परिदृश्य को ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया। तब फिच ने कहा था कि कोविड-19 महामारी ने भारत के वृद्धि परिदृश्य को कमजोर कर दिया है।

भारत की रेटिंग अगस्त 2006 के बाद से लगातार ‘‘बीबीबी-’’ है, लेकिन परिदृश्य स्थिर से नकारात्मक के बीच बदलता रहा है।

-एजेंसियां