कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब ‘भारत न्याय यात्रा’ निकालने जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत मणिपुर से होगी. यात्रा के जरिए राहुल 14 राज्यों में करीब 355 लोकसभा सीटों को साधने की कोशिश करेंगे. इस यात्रा का मकसद बीजेपी के विजय रथ को रोकना है.
कांग्रेस को उम्मीद है कि जैसे भारत जोड़ो यात्रा का असर कर्नाटक के चुनाव में दिखा था वैसे ही लोकसभा चुनाव में ‘भारत न्याय यात्रा’ का फायदा मिल सकता है.
राहुल गांधी पूर्वोत्तर से पश्चिम भारत तक यात्रा करेंगे, जिसकी शुरुआत 14 जनवरी को मणिपुर से होगी और समापन 20 मार्च को मुंबई में होगा. राहुल गांधी 67 दिनों में कुल 6200 किलोमीटर की यात्रा तय करेंगे. इस दौरान 14 राज्यों की तकरीबन 355 लोकसभा सीटों को साधने की कवायद करते वो नजर आएंगे. इनमें से ज्यादातर राज्य बीजेपी के मजबूत का दुर्ग माने जाते हैं, जहां पर पार्टी का दबदबा है.
पूर्वोत्तर के मणिपुर से पश्चिमी के मुंबई तक करीब 6200 किलोमीटर की यह लंबी यात्रा राहुल गांधी 67 दिनों में पूरी करेंगे. यह यात्रा 14 राज्यों से होकर निकलेगी, जो मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के 85 जिलों से गुजरेगी. जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ा यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने तीन मुद्दे उठाए थे, जिसमें आर्थिक विषमता, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानशाही, लेकिन इस बार भारत न्याय यात्रा का मुद्दा आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय और राजनीतिक न्याय को उठाएंगे.
राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा के दौरान जिन राज्यों से गुजरेंगे, वहां पर क्षेत्रीय दल भी मजबूत स्थिति में है. पूर्वोत्तर के मणिपुर, मेघालय, नागालैंड में क्षेत्रीय दल मजबूत है. बंगाल में टीएमसी सत्ता पर काबिज है तो झारखंड में जेएमएम और बिहार में नीतीश कुमार के अगुवाई में महागठबंधन. इसके अलावा यूपी में बीजेपी के खिलाफ सपा है तो महाराष्ट्र में शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी एक बड़ी ताकत हैं. ओडिशा में बीजेपी के खिलाफ नवीन पटनायक की बीजेडी को छोड़कर बाकी छत्रप विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ हैं.
कांग्रेस विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ चुनाव लड़ रही है और इस कारण बीजेपी के सामने भी कम चुनौती नहीं होगी, वहीं INDIA गठबंधन में भी कई चुनौतियां हैं. कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पूरी तरह व्यस्त होगी तो INDIA गठबंधन को एकजुट रखने, आने वाली चुनौतियों से निपटने, रणनीति बनाने और इस सबसे बढ़कर देश भर की लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव अभियान को संभालने में कैसे सक्षम होगी? ऐसे में देखना है कि राहुल गांधी पूर्वोत्तर से महाराष्ट्र तक यात्रा करके क्या कांग्रेस में संजीवनी दे पाएगी?
ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा करके क्या कांग्रेस को सियासी संजीवनी दे पाएंगे.
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