आगरा: केंद्रीय विद्यालय में लगी “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” पर प्रदर्शनी, ताकि इतिहास से रूबरू हो सके युवा पीढ़ी

Press Release

आगरा: आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 3 आगरा छावनी में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर भारत सरकार के निर्देशानुसार भारतीय इतिहास अनुसंधान संस्थान परिषद तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला संस्थान द्वारा संकलित चित्रों की एक डिजिटल और दृश्य प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया है।

इस रैली का उदघाटन प्रसिद्ध भूतपूर्व सेना अधिकारी कैप्टन रोशनलाल कोहली ने किया जो 14 अगस्त तक चलेगी। इस प्रदर्शनी की मेजबानी केंद्रीय विद्यालय 3 आगरा छावनी को सौंपी गई है।

14 अगस्त को भारत से कुछ हिस्सा अलग हो गया जिसे पाकिस्तान नाम दिया गया था जिसे भारतीय इतिहास में विभाजन विभीषिका का स्मृति दिवस के रुप में मनाया जाता है। आज की युवा पीढ़ी इस दिवस के इतिहास को जान सके कि 14 अगस्त को क्या हुआ था। कैसे देश का एक हिस्सा अलग हुआ और विभाजन के दौरान लोगों ने किस तरह की समस्याओं झेला। इससे युवा पीढ़ी रूबरू हो सके।

जनपद के सभी विद्यालयों के कक्षा 9 से 12 के बच्चे इस प्रदर्शनी को विद्यालय दल के साथ विद्यालय कार्य दिवसों में प्रातः 7.40 से अपराहन 1.40 तक देख सकते हैं। जन जागरूकता तथा जन सहभागिता को बढ़ाने के लिए विद्यालय द्वारा जनपद स्तर पर सार्वजनिक स्थान पर 14 8 2022 को आयोजित करने का प्रयत्न भी किया जा रहा है ।

भूतपूर्व सेना अधिकारी कैप्टन रोशनलाल कोहली का कहना है कि उस समय का दौर को भूले भी भुलाया नही जा सकता। भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी और फिर भारत और पाकिस्तान विभाजन के दौरान हुए कत्लेआम को भी देखा। उस समय न जाने कितने लोग अपने से अलग होकर पाकिस्तान चले गए।

भूतपूर्व सेना अधिकारी कैप्टन रोशनलाल कोहली ने कहा कि उस दौर के इतिहास से भी युवा पीढ़ी रूबरू हो इसके लिए जो प्रयास पीएम मोदी ने लिए है वो काबिले तारीफ है।

कार्यक्रम का संचालन तथा कार्यक्रम के विषय में बच्चों के द्वारा विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। प्राचार्य नीतू वर्मा सभी आगंतुकों का आभार प्रकट किया है।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में विद्यालय की वरिष्ट शिक्षिका रंजना गुप्ता कला शिक्षिका राजेश पूनिया सामाजिक विज्ञान शिक्षिका डॉक्टर सीमा सिंह अफरोज प्रवक्ता अंग्रेजी सुधांशु दीक्षित अर्चना गुप्ता शैलजा दुबे भरत सिकरवार गगन कुलश्रेष्ठ मनोज कुमार सुरीली सक्सेना शिवकुमार तथा अन्य शिक्षकों का एवं छात्रों का विशेष योगदान रहा

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