तमाम आरोपो के बाद भी आखिर प्रो. विनय पाठक और उनके सहयोगियों पर इतनी महरबानी क्यो?

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डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में व्याप्त भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं को सन 2019 से लगातार विभिन्न पटलों पर सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा उठाती रही है। जो भी आरोप संस्था ने विश्वविद्यालय प्रशासन और खासकर प्रो. अरविंद दीक्षित और प्रो. विनय पाठक और उनके सहयोगियों पर लगाये, अब वो सभी आरोप सच साबित हो रहे हैं और STF की जांच में खुलते जा रहे हैं। अब हमारी मांग है कि कुलाधिपति और कुलपति सब बिंदुओं पर श्वेत पत्र जारी करें।

नियमानुसार कानूनी कार्यवाही और रिकवरी हो

उस समय के कुलपतियों ( प्रो. अरविंद दीक्षित और प्रो. विनय पाठक) के विरुद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही की जाए। हमारी मांग है के भ्रष्टाचार स्थापित होने पर दोनों से रिकवरी की कार्यवाही हो। कुलाधिपति की मजबूरी भी समझ के परे है, क्योंकि उन्होंने अभी तक प्रो. पाठक को पद से बर्खास्त नहीं किया है। यह कई बातों की तरफ इंगित करता है।

विश्वविद्यालय प्रशासन और कई प्रोफेसरों के विरुद्ध जांच लंबित है और कई पर आदेश भी पारित हो चुके हैं। यह सब रिपोर्ट और आदेश दबा दिये गये हैं। श्वेत पत्र में इनका भी खुलासा हो और कार्यवाही हो। उदाहरण स्वरूप प्रो. मनोज श्रीवास्तव के  प्रमोशन पर कई अपातियाँ  है और वैसे ही झोल हैं जैसे प्रो विनय पाठक के प्रमोशन में हैं।

बिना अप्रूवल के निर्माण 

प्रो. अरविंद दीक्षित ने अपने कार्यकाल में बिना एडीए से नक्शा पास कराये कई सौ करोड़ के अनुपयोगी निर्माण कराये। इन निर्माणों की आड़ में डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के कार्पस फण्ड की लूट खसोट हुई और मूनलाइटिंग करके यहां का पैसा अन्य जगहों पर लगाया गया। बिल्डिंग निर्माण के सापेक्ष लेबर डिपार्टमेंट को देय 1% सेस भी डिप्टी लेबर कमिश्नर से सांठगांठ करके बोर्ड में जमा नहीं किया है।

हमारी मांग है कि भ्रष्टता में लिप्त कुलपतियों  और विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर के उनके सहयोगियों में विरुद्ध suo moto नोटिस लेते हुए कानूनी कार्यवाही  हो।

अफ्नों को लाभ के लिए की मनमानी

कार्यवाहक कुलपति विनय पाठक ने अस्सिटेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर स्थाई नियुक्तियों के लिये विज्ञापन NOTIFICATION/ADVERTISEMENT NO RW/01/2022 05, MAY 2022  अपने चहेतों और उनके सगे संबंधियों को नियुक्त करने के लिये निकाला तथा रोस्टर का गलत इस्तेमाल  जानबूझकर किया । कार्यवाहक कुलपति स्थाई नियुक्ति नहीं कर सकता। जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत करने पर विश्वविद्यालय ने जवाब दिया कि कुलाधिपति के आदेश पर ऐसा हुआ है। सूचना के अधिकार में कुलाधिपति कार्यालय ने जवाब दिया है कि कुलाधिपति ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है और ना ही डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के अधिनियमों में कोई संशोधन हुआ है जो कार्यवाहक कुलपति को स्थाई नियुक्ति करने के लिए अधिकृत करता हो। यह विज्ञापन प्रो पाठक और उनके सहयोगियों की कूटरचना थी। सब पर कानूनी कार्यवाही  हो और रुपयों की रिकवरी हो। जिन लोगों ने अप्लाई किया है उनका पैसा वापस हो।

जीपीएफ़ कानून के तहत कार्यवाही की मांग 

विश्वविद्यालय ने जी पी एफ – जनरल प्रोविडेंट फण्ड में भी घपला कर रखा है। जी पी एफ का अकाउंट विश्वविद्यालय ने गलत बैंक में खोल रखा है जिसके कारण कर्मचारियों को साधारण ब्याज मिल रहा ना कि पी एफ के मानकों पर चक्रवर्ती ब्याज। जनसुनवाई पर शिकायत पर जवाब दिया है कि विश्वविद्यालय पर पी एफ लागू नहीं होता इसलिए वो पी एफ का हिस्सा नहीं है। पर कर्मचारियों को ब्याज का अंतर विश्वविद्यालय देगा। ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय कर्मचारियों के वेतन से जी पी एफ काटता है जिसका लाभ कर्मचारियों को इनकम टैक्स में मिलता है।

सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने इस प्रकरण में भी कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी के विरुद्ध मुकदमे की मांग की है।