चंद्रयान-3 पर भारत की कामयाबी पर पड़ोसी पाकिस्तान में भी चर्चा, लोगों ने अपने मुल्क की सरकार और व्यवस्था को कोसा

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भारत की इस कामयाबी की चर्चा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी खूब हो रही है. पाकिस्तान के लोग अपने मुल्क की सरकार और व्यवस्था को कोस रहे हैं. भारत की इस उपलब्धि की पाकिस्तान के लोग तारीफ़ भी कर रहे हैं.
पाकिस्तान के लोगों का मानना है कि भारत उनसे बहुत आगे है. वो इसके पीछे पाकिस्तान की राजनीतिक उठापटक, बदहाली और लगातार गिरती अर्थव्यवस्था को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.

पूर्व मंत्री फ़वाद चौधरी का ट्वीट

चंद्रयान मिशन पर सबसे ज़्यादा चर्चा पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फ़वाद चौधरी के ट्वीट की थी. फ़वाद चौधरी इमरान ख़ान की सरकार में सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री थे. फ़वाद चौधरी ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग को पाकिस्तान में लाइव दिखाने की बात कही. उन्होंने इसे मानव जाति के लिए ऐतिहासिक पल भी बताया.

लेकिन साल 2019 में जब भारत ने चंद्रयान-2 मिशन चांद पर भेजा था, तब फ़वाद चौधरी ने इसका मज़ाक बनाया था. उस समय फ़वाद चौधरी ने कहा था कि भारत को चंद्रयान जैसे फालतू मिशन पर पैसे बर्बाद करने की बजाय देश में ग़रीबी पर ध्यान देना चाहिए.

हालांकि, इस्लामाबाद के आम लोगों की राय इस पर स्पष्ट है. इन लोगों का मानना है कि पाकिस्तान अब काफ़ी पीछे रह गया है.

पाकिस्तान की न्यूज़ वेबसाइट फ्राइडे टाइम्स ने चंद्रयान-3 की कामयाबी से पहले विज्ञान के प्रोफ़ेसर डॉ सलमान हामीद का एक लेख ‘चंद्रयान-3 और पाकिस्तान’ शीर्षक से छापा है.

इस लेख में सलमान हामीद ने लिखा है कि 1960 के दशक में पाकिस्तान का अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम था लेकिन चीज़ें ख़राब होती गईं और भारत कहाँ से कहाँ चला गया.

सलमान ने लिखा है, ”मुझे याद है कि 2019 में भारत का चंद्रयान-2 नाकाम रहा था तो पाकिस्तान के तत्कालीन विज्ञान मंत्री फ़वाद चौधरी ने मज़ाक उड़ाया था. उन्हें पता होना चाहिए कि विज्ञान में नाकामी अहम हिस्सा है और इसी से कामयाबी की राह खुलती है. पाकिस्तान में मून मिशन को लेकर कोई ज़िक्र तक नहीं होता है.”

एक स्थानीय शख्स ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, “इंडिया हमसे थोड़ा नहीं, बहुत आगे है. बांग्लादेश को आप देख लें. इनके सेटेलाइट हमसे बहुत आगे हैं. हम लोग बहुत पीछे रह गए हैं.”

कराची में एक शख्स ने भारत की तारीफ़ करते हुए कहा, “एक पाकिस्तानी होने के नाते हमें सिखाया गया है कि इंडिया से नफ़रत करनी चाहिए. ये विवादित लग सकता है लेकिन मैं भारत के लिए ख़ुश हूँ. हमारा रहन-सहन, खाना, त्योहार और भाषा एक सी है. लेकिन फिर भी हमें भारत से नफ़रत करना सिखाया गया है. मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मैं भारत के लिए खुश हूं कि उसने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है.”

कुछ लोग पाकिस्तान की बदहाली के लिए वहां की सरकारों की ख़राब नीतियों को वजह बताते हैं.

एक स्थानीय बुज़ुर्ग ने पीटीआई से कहा, “इंडिया की सैटेलाइट चाँद तक तो क्या, मरीख़ (मंगल ग्रह) तक भी पहुँच सकती है. उनकी नीतियां ऐसी हैं कि उनका जो भी हुक्मरां होते हैं वो मुल्क के लिए सोचते हैं जबकि हमारे यहाँ हुक्मरां अपने लिए, अपने परिवार के लिए सोचते हैं.”

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने एक लंबे से ट्वीट में लिखा है, “पाकिस्तानियों को ये समझने की ज़रूरत है कि भारत और पाकिस्तान में असल फ़र्क़ क्या है. हम आमतौर पर एक जैसी सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक समस्याओं से जूझते हैं लेकिन जो वाक़ई अलग है, वो है लेवल.”

वक़ास ने एक्स पर खुद को पत्रकार बताया है. वो लिखते हैं- “अगर आपका लक्ष्य उससे प्रतियोगिता करने का है तो आपको अपनी अर्थव्यवस्था 10 गुना बढ़ानी होगी. हर पाकिस्तानी को औसत भारतीय की तुलना में कम से कम 10 गुना अधिक काम करना होगा.”

एक पत्रकार ने पाकिस्तान की ख़राब हालत पर तंज़ करते हुए लिखा है- “चांद पर गैस, बिजली, पानी, न्याय, क़ानून व्यवस्था, संविधान, मानवाधिकार वगैराह कुछ भी नहीं है. पाकिस्तान में भी नहीं है. तो फिर ये तुलना किस बात की? हम बराबर हैं. पाकिस्तान का स्कोर 1 और भारत भी 1. खल्लास.”

एक पाकिस्तानी यूज़र ने लिखा है, “लाहौर ऑरेंज लाइन ट्रेन का बजट 1.64 अरब डॉलर, भारत के चंद्रयान मिशन का बजट 7.5 करोड़ डॉलर. जो लोग कह रहे हैं कि सिर्फ़ पैसों का गेम है मून मिशन, उनके लिए ये फै़क्ट काफ़ी है.”
गंभीर आर्थिक संकट से जूझते पाकिस्तान को बीते महीने ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर मंज़ूरी दी थी. इसके अलावा चीन, सऊदी अरब, यूएई जैसे कई देश भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देते रहे हैं.

अब चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद कुछ पाकिस्तानी यूज़र मुल्क की माली हालत को लेकर सरकार पर भी निशाना साध रहे हैं.

पाकिस्तान के अर्थशास्त्री डॉक्टर कैसर बंगाली ने एक्स पर लिखा है- “भारत चांद पर पहुँच गया. और हम अपने कटोरे आगे करने की कला में निपुण हो गए हैं. ये हमारे उन सारे शासकों के लिए श्रद्धांजलि है जिन्होंने राष्ट्रीय हितों की क़ीमत पर अपने ख़ज़ाने भरे.”

कराची में रहने वाले एक शख्स ने कहा- “पाकिस्तान की हक़ीक़त अलग है. 1947 में दोनों ने साथ शुरू किया था लेकिन अब वो हमसे काफ़ी आगे निकल गए. मुझे लगता है कि हमारी प्राथमिकताएं अलग रहीं. हम हमेशा इस राजनीतिक उठापटक में फंसे रहे. दूसरी तरफ विज्ञान, तकनीक हर क्षेत्र में भारत हमसे आगे निकल गया.”

“अगर आप बाहर के मुल्कों में भी देखें तो भारत के कई प्रतिभाशाली लोग मिलेंगे. अधिकतर आईटी कंपनियों में वो शीर्ष भूमिका में हैं. अगर पीछे जाकर देखें तो पता लगेगा कि हमने विज्ञान, शिक्षा को कभी प्राथमिकता नहीं दी.”

एक यूज़र ने एक्स पर लिखा है- अब्दुस सलाम 1979 में भौतिकी में नोबेल पाने वाले पहले पाकिस्तानी भी बने थे. लेकिन पाकिस्तान ने उनकी धार्मिक पहचान को लेकर हमेशा उन्हें हाशिए पर रखा.

देश के इस पहले नोबेल विजेता को अहमदिया होने के कारण भुला दिया गया. अहमदिया समुदाय को पाकिस्तान में मुसलमान नहीं माना जाता है.

पाकिस्तान ने सितंबर, 1974 में संविधान में संशोधन कर अहमदिया संप्रदाय को ग़ैर मुस्लिम घोषित कर दिया था.

Compiled: up18 News