प्रवचन: बेशुमार धन केवल दुख देता है, सुख तो मिलेगा संयम में- डा.मणिभद्र महाराज

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सब छोड़ तुम्हें एक दिन,
इस जग से जाना है।
फिर किसके लिए,
संचय करता तू दीवाना है।

आगरा: नेपाल केसरी एवं मानव मिलन संस्थापक डा.मणिभद्र महाराज ने सभी को जागरूक किया कि धन संचय एक सीमा तक उचित है, बेशुमार धन, केवल दुख देता है। सुख तो केवल तप और संयम में ही है, इसलिए जब एक दिन सारी संपति छोड़ कर जानी है तो संचय क्यों कर रहे हैं। धन एकत्र करने के लिए नौकरों व अन्य लोगों को दुख देते हैं, उसका पाप तो भोगना ही पड़ेगा।
राजामंडी के जैन स्थानक में हो रहे भक्तामर स्रोत अनुष्ठान में जैन मुनि ने बुधवार को 35 वें श्लोक की व्याख्या की। कहा कि कितनी ही संपति एकत्र कर लो, जब अंत समय आएगा तो छोड़ कर यहीं जाना पड़ेगा। दुख का विषय यह है कि उससे आसक्ति इतनी है कि उससे कोई छुड़वा नहीं सकता। केवल यम के दूत ही अंत काल में छुड़वाएंगे। संपति नहीं, केवल आत्मा ही वे साथ ले जाएंगे।

राजगिरी निवासी श्रावक महाशतक का उल्लेख करते हुए उसकी अपार की चर्चा की। उन्होंने कहा कि पल भर के सुख के लिए अपार धन अर्जित करते हैं, उसके लिए लोगों को दुख देते हैं। जैन मुनि ने कहा कि यह पैसा पाते है लोगों में अहम, अकड़ आ जाती है। लोग जब उधार लेने जाते हैं, तब कितनी विनम्रता होती है, लेकिन जब व्यक्ति अपना पैसा वापस मांगने जाता है तो उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैन मुनि ने कहा कि यह सौभाग्य है कि तुमने मानव जीवन प्राप्त किया। इसलिए पैसा कमाने के बजाए यश अर्जित करो। तप, संयम, साधना करो, तभी जीवन सार्थक हो सकता है। अपनी आत्मा का कल्याण आपके हाथो में है। इसलिए जितना कम हो उतना संचय करो और जीवन को धर्म से जोड़ो, तभी कल्याण होगा।

मानव मिलन संस्थापक नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र मुनि,बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में बुधवार को 35 वीं गाथा का जाप मधु, अनूप, आदेश बुरड़, कुमुद सिम्मी जैन परिवार ने लिया।

नवकार मंत्र जाप की आराधना शालू,सुनीता, सिम्मी जैन परिवार ने की। इस चातुर्मास में मधु बुरड़ की 35 आयंबिल,पदमा सुराना 15 नीवी उपवास, उषा लोढ़ा के एक वर्ष से एकासने की तपस्या चल रही
है।

-up18news/विवेक जैन